अब टीकाकरण केंद्र पर सेवा में जुटीं मीनाक्षी

मदन पांचाल गाजियाबाद कोरोना के खौफ से निडर होकर सिस्टर मीनाक्षी एक साल से संक्रमितों के स

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 05:56 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 05:56 PM (IST)
अब टीकाकरण केंद्र पर सेवा में जुटीं मीनाक्षी
अब टीकाकरण केंद्र पर सेवा में जुटीं मीनाक्षी

मदन पांचाल, गाजियाबाद

कोरोना के खौफ से निडर होकर सिस्टर मीनाक्षी एक साल से संक्रमितों के साथ अन्य बीमार लोगों की भी जान बचाने में जुटी हुई हैं। मार्च 2020 में कोविड ड्यूटी लगी तो वह बिना किसी डर के अस्पताल में पहुंच गईं। पिता एवं भाई ने कोरोना ड्यूटी लगने पर नौकरी छोड़ने की बात कही लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी और घर से दूर रहकर एक साल से लगातार कोविड ड्यूटी कर रही है। नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजनगर पर कार्यरत मीनाक्षी को सबसे पहले जनहित इंस्टीट्यूट में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में मरीजों की देखभाल की। इसके बाद आरकेजीआइटी में संचालित क्वारंटाइन सेंटर में संक्रमितों के संपर्क में आए बच्चों एवं महिलाओं की देखभाल की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

दिव्य ज्योति मोदीनगर में बनाए गए कोविड एल-1 में ड्यूटी लगने पर संक्रमितों के उपचार में लग गईं। यहां पर पीपीई किट पहनकर रात की शिफ्ट में काम करते हुए सैकड़ों संक्रमितों की देखभाल की। कभी दवा देना तो कभी खाना। कोरोना के केस कम होने पर वापस स्वास्थ्य केंद्र पर आकर मरीजों की जांच करने लगीं। 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण में वह रोज डेढ़ सौ लोगों का पोर्टल पर पंजीकरण कराने के साथ सत्यापन करती हैं। इसके बाद टीका भी लगाती हैं। मां-बाप से दूर रहकर वह सेवा भाव से काम कर रही हैं। आधार नंबर बताओ बाबा

संयुक्त अस्पताल में संचालित टीकाकरण केंद्र पर इन दिनों वह 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का पोर्टल पर पंजीकरण करती है और सत्यापन भी। बुजुर्गों से केवल आधार कार्ड का नंबर लेकर वह चुटकियों में कोविन एप पर पंजीकरण कर देती है। बुजुर्ग को देखते ही वह विनम्रता से पूछती है कि बाबा आपका आधार कार्ड का नंबर क्या है। बीस हजार लोगों का पंजीकरण करने के साथ ही वह अब तक पांच हजार लोगों को टीका भी लगा चुकी है। मां के कहने पर बनीं नर्स

मीनाक्षी बताती हैं कि उनकी मां कमलेश ने नर्स बनकर सेवा करने को कहा तो मेरठ से 2014-17 में नर्सिंग में डिप्लोमा किया। वर्ष 2018 में स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति हो गई। उनके पिता सुरेंद्र आर्डिनेंस फैक्ट्री मुरादनगर में आडिटर हैं। वह बताती हैं कि बीमार लोगों की सेवा करने से मन को तसल्ली मिलती है।

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