नशा छुड़ाकर सैंकड़ों घरों को टूटने से बचा चुकी हैं ममता
जासं गाजियाबाद लोहिया नगर में रहने वाली ममता गुप्ता सैकड़ों लोगों का नशा छुड़ाकर उ
जासं, गाजियाबाद : लोहिया नगर में रहने वाली ममता गुप्ता सैकड़ों लोगों का नशा छुड़ाकर उनके घर टूटने से बचा चुकी हैं। वह पिछले 15 सालों से नशा मुक्ति के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं। उनका कहना है कि आजकल नशे की गिरफ्त में सबसे ज्यादा किशोर आ रहे हैं तो प्रयास रहता है कि पहले ही बच्चों धूमपान के दुष्परिणाम समझाए जाएं। जिससे उन्हें पता लग सके कि नशा करने से किस तरह से समाज में अपना सम्मान खो देते हैं। आर्थिक रूप से कितनी हानि होती है और परिवार बिखर जाते हैं।
ममता गुप्ता ने बताया कि बागपत स्थित उनके गांव में छोटे बच्चों का स्कूल है। जहां कई बच्चे पढ़ने नहीं आते थे तो उनके घर जाकर संपर्क किया। पता लगा कि बच्चों के पिता शराब पीते हैं जिसकी वजह से घर की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बच्चे पढ़ाई छोड़कर स्वयं पेट पालने के लिए मेहनत कर रहे हैं। ऐसा देखकर बच्चों के पिता को समझाना और नशा मुक्ति के लिए उपचार दिलाना शुरू किया। जिससे शुरुआत में एक-दो लोगों ने शराब पीना छोड़ा तो उनका हौसला बढ़ गया। यहीं से शुरुआत हुई और उन्होंने नशामुक्ति ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया कि वह इसके लिए ही काम करेंगी। इसके बाद ममता गुप्ता ने स्कूलों में जाकर बच्चों को धूमपान छोड़ने के लिए जागरूक करने लगीं। गाजियाबाद में उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। उन्होंने गाजियाबाद के स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों पर शिविर लगाना व नशा करने वालों को उपचार दिलाना शुरू किया। अब तक हजारों शिविर लगा चुकी हैं।
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एमएमजी अस्पताल में सालों से कर रही हैं काउंसिलिग ममता गुप्ता ने करीब ढाई साल पहले से एमएमजी अस्पताल में ड्रग एडिक्ट लोगों की काउंसिलिग करना शुरू किया था। हालांकि अभी कुछ महीनों से अस्पताल में काउंसिलिग के लिए नहीं जा रही हैं। करीब दो साल से हर सप्ताह नशा मुक्ति केंद्र पर ड्रग एडिक्ट लोगों की काउंसिलिग कर उन्हें नशे के आर्थिक और सामाजिक नुकसान समझाती हैं। इसके अलावा कई लोगों को नशा मुक्ति केंद्र पर उपचार के लिए प्रेरित करती हैं। ममता गुप्ता ने बताया कि एक बड़े व्यवसायी को नशे की लत हो गई और काफी कर्ज में भी डूब गया था। इसके बाद उन्होंने काउंसिलिग की तो धीरे-धीरे नशे की लत छूट गई और कारोबार भी पटरी पर लौट गया। उन्होंने बताया कि ऐसे कितने ही केस हैं। कई घरों की हालत काफी खराब थी, लेकिन जब उन लोगों को समझाया गया और उपचार लेने के लिए प्रेरित किया तो नशा छूट गया और अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित किया जाता रहता है।