लाकडाउन ने बदल दिया था जिदगी का अंदाज

आयुष गंगवार गाजियाबाद एक साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से निपटने के लिए ला

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Mar 2021 06:26 PM (IST) Updated:Wed, 24 Mar 2021 06:26 PM (IST)
लाकडाउन ने बदल दिया था जिदगी का अंदाज
लाकडाउन ने बदल दिया था जिदगी का अंदाज

आयुष गंगवार, गाजियाबाद: एक साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से निपटने के लिए लाकडाउन की घोषणा की तो सभी लोग इससे प्रभावित हुए। स्कूल पहले ही बंद हो चुके थे। खिलाड़ियों का प्रशिक्षण बंद हो गया। पुलिसकर्मियों की ड्यूटी बदल गई और विवेचना रुक गईं। मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ पहले से ही कोरोना से जंग लड़ रहे थे। लाकडाउन को एक साल होने पर दैनिक जागरण ने इन लोगों से बात कर लाकडाउन के अनुभवों के बारे में जाना। आनलाइन शिक्षा को मिले आयाम

लाकडाउन में सबसे पहले स्कूल के सभी शिक्षकों का वाट्सएप ग्रुप बनाया और उनसे क्लास के हिसाब से बच्चों का अलग-अलग ग्रुप बनाने को कहा। मगर 60 फीसद बच्चे ही ग्रुपों से जुड़ पाए, क्योंकि बाकी के पास स्मार्टफोन नहीं था। आसपास के बच्चों के जरिए परीक्षा की तैयारी कराई। अप्रैल से जुलाई तक आनलाइन शिक्षा पूरी तरह पटरी पर आ पाई। अब दीक्षा व रीड एलांग एप आ गए हैं, जिन पर आनलाइन पढ़ाई की पूरी सामग्री है। बच्चों को इन एप पर लागइन करना और प्रयोग करना सिखाया। आनलाइन ही योग, नृत्य, क्राफ्ट के जरिये बच्चों को हुनरमंद भी बना रहे हैं।

- काजल शर्मा, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय, उखलारसी। ---- बदमाश नहीं कोरोना मरीज के संपर्की ट्रेस किए

मेरा आठ साल का बेटा है। पहले घर पहुंचते ही बेटा गले लग जाता है। मगर लाकडाउन में घर जाने के एक घंटे बाद उससे मिलती थी। कोरोना के चलते उसके लिए डर लगता था। लाकडाउन में हमारी जिम्मेदारी पूरी तरह बदल गई। चंद मामले छोड़ दें तो बाकी सभी विवेचनाएं रुक गईं। चेकिग करने के बजाए चौराहों पर इसलिए ड्यूटी दी कि लोग घरों से बाहर न निकलें। मोटर व्हीकल एक्ट के बजाए फेस मास्क न पहनने वालों के चालान किए। बदमाशों को पकड़ने के बजाए तब्लीगी जमात व कोरोना मरीजों के संपर्कियों को ट्रेस किया। लूट व स्नेचिग के हाटस्पाट की जगह कोविड हाटस्पाट पर ड्यूटी कीं।

- राखी शर्मा, प्रभारी, वन स्टाप सेंटर पुलिस चौकी।

--- छत को बनाया एरीना

जनवरी-2020 में ही मैंने दुबई में हुई जी-2 इंटरनेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में देश को कांस्य पदक दिलाया था। मगर दो माह बाद लाकडाउन लग गया। एरीना (ताइक्वांडो के प्रशिक्षण व मैच कराने का स्थान) में जाना बंद हो गया तो छत को एरीना बनाने की ठानी और अकेले प्रशिक्षण शुरू किया। इसमें घायल होने का खतरा था। शुरुआत में परेशानी भी हुई। मगर धीरे-धीरे अकेले प्रशिक्षण में रम गया। अगस्त में होने वाले ताइक्वांडो हीरोज कप में देश का प्रतिनिधित्व करूंगा।

- अतुल राघव, अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी।

---- 20 किलो वजन लादकर चलना आदत बन गई

वार्ड ब्वाय होने के नाते मरीज की सेवा ही मेरा धर्म है। मेरठ में पत्नी, बेटा व बेटी रहते हैं। लाकडाउन लगा तो चार माह तक उनसे नहीं मिला, क्योंकि डर था कि कहीं मुझसे उनको संक्रमण न फैल जाए। लाकडाउन में मुझे सैनिटाइजेशन की ड्यूटी मिली, जो आज तक कर रहा हूं। स्प्रे मशीन और सैनिटाइजेशन वाला केमिकल मिलाकर 20 किलो वजन पीठ पर लादा तो शुरुआत में बड़ी दिक्कत हुई। मगर अब एक साल हो गया है। रोजाना 7-8 घंटे सैनिटाइजेशन करता हूं। अब 20 किलो वजन लादकर चलने की आदत हो गई।

- आसिफ, वार्ड ब्वाय, एमएमजी अस्पताल।

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