आवाज दबाने के लिए दर्ज हुए मुकदमे..
अवनीश मिश्र साहिबाबाद छात्र भानू की मौत के बाद विरोध-प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दर्ज हु
अवनीश मिश्र, साहिबाबाद : छात्र भानू की मौत के बाद विरोध-प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को लोग गलत ठहरा रहे हैं। पुलिस पर अपनी गलती छिपाने और सही कार्रवाई की मांग करने वालों की आवाज दबाने का आरोप लगा रहे हैं।
इस प्रकरण में दर्ज हुए तीन मुकदमों में जितेंद्र अग्रवाल आरोपित हैं। उन्होंने बताया कि वह सामाजिक कार्यो व लोगों के सुख-दुख में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसी कारण जब शुक्रवार रात में भानू का शव मिलने की सूचना मिली, तो वह मौके पर पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने लोगों को समझाने का प्रयास किया। वेब पोर्टल के रिपोर्टर को भी बचाने का प्रयास किया। इसमें उन्हें चोट भी आई। पुलिस से मेडिकल कराने की बात की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। शनिवार को जब गुस्साए लोगों ने खोड़ा इतवार पुश्ता जाम किया, तो वह यहां थे ही नहीं। वह कोटला, मयूर विहार फेज-एक दिल्ली में थे। पुलिस ने आवाज दबाने के लिए गलत कार्रवाई की है।
--------
स्वजन बोले इंसाफ के लिए प्रदर्शन करना पड़ा :
भानू के चाचा महीपाल ने बताया कि परिवार ने अपना बेटा खोया है। उनका आरोप है कि पुलिस इस घटना की जिम्मेदार है। पुलिस भानू के पिता रामनिवास को अवैध तरीके से हिरासत में न रखती, तो यह घटना न होती। उन्होंने कहा कि इंसाफ पाने के लिए प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर असंतुष्टि जाहिर की है।
---------
इसलिए पुलिस को मौत का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं स्वजन :
स्वजन का आरोप है कि बृहस्पतिवार शाम को भानू की लड़कों से लड़ाई हुई, तो वह घर नहीं आया। पुलिस रात में दो बजे उसके पिता रामनिवास को उठा कर थाने ले गई। शुक्रवार रात में जब मास्टर पार्क कालोनी स्थित एक मकान की सीढि़यों पर बंधे फंदे से उसका शव मिला, तो पुलिस रामनिवास को छोड़कर चली गई। स्वजन का आरोप है कि रामनिवास अगर बाहर होते, तो भानू को ढूंढ़ लेते, शायद यह घटना न होती। इस कारण स्वजन भानू की मौत का जिम्मेदार पुलिस को मान रहे हैं। इसी को लेकर दो दिन प्रदर्शन हुआ था। इसी मामले में पुलिस की ओर से दो मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।