मामा के झांसे में आकर तबाह किए पिता के चार साल

विवेक त्यागी गाजियाबाद नाबालिग किशोरी मामा के झांसे में आ गई। पिता ने कम उम्र और मामा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 09:00 PM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2021 09:00 PM (IST)
मामा के झांसे में आकर तबाह किए पिता के चार साल
मामा के झांसे में आकर तबाह किए पिता के चार साल

विवेक त्यागी, गाजियाबाद :

नाबालिग किशोरी मामा के झांसे में आ गई। पिता ने कम उम्र और मामा के रिश्ते को देखते हुए बेटी को डांटा तो वह नाराज हो गई। इसका फायदा उठाते हुए उसने किशोरी को भड़का कर पिता पर ही दुष्कर्म का आरोप लगवा दिया। किशोरी के पिता से उसने ढाई-तीन लाख रुपये उधार ले रखे थे। पैसे न देने पड़े इसलिए उसने यह साजिश रची। बेकसूर होने के बावजूद पिता को करीब चार साल जेल में रहना पड़ा।

एक दिन मना करने के बावजूद बेटी के प्रेमी से मिलने की जानकारी पिता को हुई तो उन्होंने बेटी को डांटा। यह 2017 की बात है। प्रेमी के प्यार में पागल बेटी इस कदर अंधी हुई कि रिश्तों की मर्यादा ही भूल गई। मामा के झांसे में आकर उसने पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगाया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचवा दिया। मामा ने अपने जीजा यानी बच्ची के पिता से ढाई-तीन लाख रुपये उधार ले रखे थे। तकादा करने के बावजूद वह पैसे वापस नहीं कर रहा था। पैसे हड़पने के लिए ही उसने भांजी के साथ मिलकर झूठी एफआइआर दर्ज कराई। मामले की सुनवाई के दौरान मामा-भांजी दोनों आरोपों से मुकर गए थे। - पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को क्षति पहुंचाई, यह क्षम्य नहीं -

विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स ने बताया कि शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट महेंद्र श्रीवास्तव की अदालत विशेष टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि झूठे आरोप में जेल में बंद पिता की स्वतंत्रता का हनन किया गया। मुकदमे के वादी मामा ने न्यायालय की प्रक्रिया का अपने निहित उद्देश्यों की प्राप्ति व पैसे के लेन-देन को सुलझाने के लिए दुरुपयोग किया। इस प्रकार के कृत्य से समाज में न्यायालय की विश्वसनीयता को क्षति पहुंचती है। वादी रिश्ते में पीड़िता का मामा है। उसने अपने संबंधों के प्रभाव का प्रयोग कर पीड़िता को उसके पिता के प्रति उकसाया और झूठी एफआइआर दर्ज कराई। इस प्रकार के झूठे मुकदमे के माध्यम से पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को समाज में क्षति पहुंचाई है। यह कतई क्षम्य नहीं है।

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- झूठी एफआइआर कराने वाली महिला पर लगाया था जुर्माना -

विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट महेंद्र श्रीवास्तव की अदालत ने बेटी से दुष्कर्म की झूठी एफआइआर कराने वाली महिला पर 30 जनवरी 2021 को 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। मामला लोनी थानाक्षेत्र का था। अक्टूबर 2020 में महिला ने बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पड़ोसी रजत पर एफआइआर दर्ज कराई थी। सुनवाई के दौरान मामला झूठा पाया गया था जिसके बाद अदालत ने आरोपित रजत को बरी करते हुए एफआइआर दर्ज कराने वाली महिला पर जुर्माना लगाया था।

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- हर साल आते 3-4 मामले आते हैं फर्जी -

पुलिस के मुताबिक दुष्कर्म के फर्जी मामले हर साल बड़ी संख्या में सामने आते हैं। अदालत में फैसले की बात करें तो हर साल 3-4 मामले फर्जी पाए जाते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये वो मामले होते हैं, जिनमें शादी का झांसा देकर संबंध बनाने का आरोप होता है या फिर दोनों पक्षों के बीच किसी विवाद के चलते फंसाने के लिए केस दर्ज कराया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में महिला के आरोपों के आधार पर तुरंत रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है। मगर विवेचना में आरोप साबित न होने पर इनमें अंतिम रिपोर्ट भी लगा दी जाती है।

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