बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पिता बरी, झूठी एफआइआर कराने वाले मामा को कैद

जागरण संवाददाता गाजियाबाद नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोप में चार साल से जेल में बंद पित

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 07:38 PM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2021 07:38 PM (IST)
बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पिता बरी, झूठी एफआइआर कराने वाले मामा को कैद
बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पिता बरी, झूठी एफआइआर कराने वाले मामा को कैद

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :

नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोप में चार साल से जेल में बंद पिता को विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट महेंद्र श्रीवास्तव की अदालत ने शुक्रवार को बरी करते हुए जेल से रिहा करने के आदेश दिए। साथ ही झूठी एफआइआर कराने वाले नाबालिग के मामा को अदालत ने सजा सुनाई। उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए अदालत ने एक माह कैद की सजा सुनाई।

विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स ने बताया कि मामला मोदीनगर थानाक्षेत्र का था। वर्ष 2017 में नाबालिग बच्ची के मामा ने पुलिस को शिकायत देकर आरोप लगाया था कि बच्ची के पिता ने उसके साथ छेड़छाड़ व दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी। शिकायत पर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर आरोपित पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। आरोपित पिता वर्ष 2017 से ही जेल में बंद हैं। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट की अदालत में चल रही थी। विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स ने बताया कि पुलिस आरोपित पिता के खिलाफ कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। मामला पारिवारिक विवाद का था। सुनवाई के दौरान सामने आया कि मुकदमे के वादी, पीड़िता के मामा ने पारिवारिक विवाद में पीड़िता के पिता को फंसाया था। झूठी एफआइआर दर्ज कराने को लेकर अदालत ने मामा पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए एक माह कैद की सजा सुनाई। जुर्माना राशि में से 50 फीसद धनराशि पिता को देने के आदेश भी अदालत ने दिए हैं। लोगों की प्रतिक्रिया

कई मामलों में व्यक्तिगत फायदे के लिए या किसी से बदला लेने के लिए झूठे आरोप लगाकर किसी को फंसा दिया जाता है। जिनके साथ असल में घटनाएं होती हैं उन्हें भटकना पड़ता है। झूठा आरोप लगाने वालों को सजा देने का प्रावधान होना चाहिए।

- शबनम खान, अधिवक्ता देखने में आता है कि कई महिलाएं किसी के झांसे में आकर या खुद झूठे आरोप लगा देती हैं। इससे कई सम्मानित पुरुषों की जिदगी खराब हो जाती हैं। जो हकीकत में पीड़िता हैं उन्हें न्याय में देरी होती है तो उन्हें भी शक की नजर से देखा जाता है। झूठा आरोप लगाने वाला कोई भी हो, सजा का प्रावधान होना जरूरी है।

- सारिका त्यागी, पूर्व छात्रा, एलएलबी

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