तीर्थकर महावीर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर समेत आठ के खिलाफ चलेगा मुकदमा

जागरण संवाददाता गाजियाबाद मुरादाबाद स्थित तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) में एमबीबीए

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 08:09 PM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 08:09 PM (IST)
तीर्थकर महावीर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर समेत आठ के खिलाफ चलेगा मुकदमा
तीर्थकर महावीर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर समेत आठ के खिलाफ चलेगा मुकदमा

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :

मुरादाबाद स्थित तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) में एमबीबीएस की छात्रा नीरज भड़ाना की रहस्यमय मौत के मामले में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांक सिंह की अदालत ने सोमवार को सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। अदालत ने टीएमयू के वाइस चांसलर मनीष जैन के खिलाफ हत्या व साक्ष्य मिटाने, हास्टल के चीफ वार्डन विपिन जैन, ग‌र्ल्स हास्टल की वार्डन सुषमा भदौरिया व सहायक वार्डन अमिता सिंह के खिलाफ साजिश रचने व साक्ष्य मिटाने के आरोप में मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं। साथ ही नीरज भड़ाना की रूम पार्टनर वर्षा यादव, अमृत पाल कौर व कृति भारद्वाज और वीनू जैन के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने व साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाने की आदेश दिए हैं। सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने परिस्थिति जन्य साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा चलाने के आदेश देते हुए क्लोजर रिपोर्ट को खारिज किया है। सोमवार को अदालत ने उपरोक्त सभी आरोपितों के खिलाफ समन जारी किए। मामले में अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी।

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क्या था मामला

छह जुलाई 2013 को मुरादाबाद स्थित तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी परिसर के हास्टल में फरीदाबाद की रहने वाली एमबीबीएस की छात्रा नीरज भड़ाना की रहस्यमय हालात में मौत हो गई। सात जुलाई को मृत छात्रा के पिता राम किशोर भड़ाना की शिकायत पर मुरादाबाद के पाकबड़ा थाने में पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। स्वजन ने टीएमयू के वाइस चांसलर व प्रबंधन पर साजिश के तहत हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का आरोप लगाया था। उस वक्त इस मामले में बड़ा तूल पकड़ा था जिसके बाद वर्ष 2013 में मामला सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2015 में सीबीआइ ने सभी आरोपितों को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी। सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराते हुए नीरज भड़ाना के स्वजन ने याचिका दायर की थी। इस पर सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई चल रही थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद व तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद अदालत ने उपरोक्त आदेश दिए।

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