अस्पताल ज्यादा शुल्क वसूले तो तत्काल करें शिकायत, होगी कार्रवाई : सेंथिल पांडियन सी

- प्रोफाइल - 2002 बैच के यूपी कैडर के आइएएस अफसर सेंथिल पांडियन सी मूलरूप से तमिलनाडु के

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 06:35 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 06:35 PM (IST)
अस्पताल ज्यादा शुल्क वसूले तो तत्काल करें शिकायत, होगी कार्रवाई : सेंथिल पांडियन सी
अस्पताल ज्यादा शुल्क वसूले तो तत्काल करें शिकायत, होगी कार्रवाई : सेंथिल पांडियन सी

- प्रोफाइल -

2002 बैच के यूपी कैडर के आइएएस अफसर सेंथिल पांडियन सी मूलरूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं। स्नातक तक की पढ़ाई उन्होंने तमिलनाडु से की। इसके बाद दिल्ली स्थित इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट से एमएससी की व प्लांट पैथोलाजी विषय पर पीएचडी की। वर्ष 2004 में प्रशिक्षु आइएएस के तौर पर झांसी में तैनात हुए। इसके बाद शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी में एसडीएम और बस्ती, रामपुर समेत कई जिलों में मुख्य विकास अधिकारी रहे। बांदा, बदायूं, प्रतापगढ़, लखीमपुर खीरी, बलिया में डीएम रह चुके हैं। आठ साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पासपोर्ट अधिकारी चेन्नई व केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों में रहे। वर्ष 2018 में वापस यूपी कैडर में लौटे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम में प्रबंध निदेशक हैं। खाली समय में वह किताबें पढ़ने और घूमने के शौकीन हैं।

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कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में आकर काफी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। संक्रमण से बचाव व इलाज की समुचित व्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ आइएएस अफसर सेंथिल पांडियन सी को गाजियाबाद जिले का नोडल अधिकारी बनाया। संक्रमण की चेन तोड़ना बड़ी समस्या है। सभी को उचित इलाज मुहैया कराना व अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाना भी बड़ी चुनौती है। किस तरह से जिले में कोरोना संक्रमण की चुनौतियां से पार पाया जाए। इन सभी मुद्दों पर दैनिक जागरण के विवेक त्यागी ने जिले के नोडल अधिकारी सेथिल पांडियन सी से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश..

----------- कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए आपका क्या एक्शन प्लान है? कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयासों के साथ आम जन में जागरूकता बहुत जरूरी है। लोग अपने स्तर पर मास्क लगाकर, हाथ सैनिटाइज कर व शारीरिक दूरी बनाकर इससे बच सकते हैं। सरकार द्वारा टेस्टिग, सैंपलिग, सर्विलांस, आइसोलेशन सेंटर बनाकर, मेडिकल किट व आक्सीजन मुहैया कराकर संक्रमण से लोगों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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अब देहात क्षेत्र में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। मेडिकल किट लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इस तरह की शिकायतें लगातार आ रही है। इसका निस्तारण कैसे करेंगे? जिले में प्रतिदिन पांच हजार लोगों को मेडिकल किट रोज मुहैया कराई जा रही हैं। अब तब 52 हजार से ज्यादा लोगों को मेडिकल किट दी जा चुकी है। मेडिकल किट मुहैया करवाने के लिए शहरी क्षेत्र में नगर स्वास्थ्य अधिकारी व देहात क्षेत्र में जिला पंचायती राज अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। शहरी क्षेत्रों में निगरानी समिति व स्थानीय पार्षद और देहात क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकत्री व आशा वर्कर के द्वारा मेडिकल किट पहुंचाई जा रही है। हम जांच रिपोर्ट का इंतजार नहीं कर रहे हैं। किसी को खांसी, जुकाम या कोरोना का कोई भी लक्षण है तो उपरोक्त की मदद से घर-घर जाकर मेडिकल किट उपलब्ध कराई जा रही है।

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निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के नाम पर मोटी उगाही कर रहे हैं। मनमानी पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? शासन ने वेंटीलेटर वाले आइसीयू बेड के लिए 18 हजार रुपये प्रतिदिन, आइसीयू बेड के लिए 15 हजार रुपये प्रतिदिन व आइसोलेशन बेड के लिए 10 हजार रुपये प्रतिदिन शुल्क तय किया है। आक्सीजन, बेड, भोजन, नर्सिंग केयर, मानिटरिग, इमेजिग व आवश्यक जांच व सलाह आदि के लिए कोई अलग से शुल्क नहीं होगा। इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन, आरटीपीसीआर जांच शामिल नहीं हैं। जिले में कोई भी अस्पताल संचालक तय शुल्क से ज्यादा पैसों की मांग करता है तो तुरंत शिकायत करें। अस्पताल प्रबंधक के खिलाफ तत्काल प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों में बेड की कमी व हालत सही होने पर भी सिफारिश वाले मरीजों को भर्ती करने की शिकायत पर एक संयुक्त टीम गठित कर औचक छापेमारी की गई। इस दौरान कई अस्पतालों में गड़बड़ी मिली। सभी के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

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सरकारी कोविड अस्पतालों में डॉक्टर ठीक से उपचार नहीं कर रहे हैं। डॉक्टर मरीजों को कई दिन तक देखने नहीं आते हैं। वार्ड ब्वाय व नर्स को मरीजों की दवा बता दी जाती हैं। यही कारण हैं कि सरकारी कोविड अस्पताल व सरकारी आइसोलेशन सेंटर में जाने से लोग बचते हैं? इस संबंध में मुझे भी शिकायत मिली थीं। प्रत्येक सरकारी कोविड अस्पताल के लिए प्रशासनिक अफसर को नोडल अधिकारी घोषित किया गया। अलग-अलग अफसर को जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें औचक निरीक्षण के निर्देश दे रखे हैं। सभी से रिपोर्ट तलब कर मैं खुद मानिटरिग कर रहा हूं। जिस सरकारी कोविड अस्पताल में ऐसा पाया गया कि डॉक्टर उपचार करने नहीं आ रहे हैं और वार्ड ब्वाय या नर्स को फोन पर दवा बताकर ही उपचार किया जा रहा है तो ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कैलास मानसरोवर भवन में 140 बेड, मोदीनगर ईएसआइसी अस्पताल में 30 बेड और साहिबाबाद ईएसआइसी अस्पताल में 50 बेड का आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है। शहरी व देहात क्षेत्र के स्कूल-कालेजों को भी जरूरत के हिसाब से आइसोलेशन सेंटर बनाया जा रहा है।

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एक तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन व आक्सीजन मरीजों को नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी तरह कुछ मेडिकल स्टोर संचालक व अन्य लोग कालाबाजारी कर रहे हैं। इस अव्यवस्था को कैसे ठीक करेंगे? शुरुआत में रेमडेसिविर इंजेक्शन व आक्सीजन को लेकर दिक्कत थी लेकिन योजनाबद्ध तरीके से काम कर सब ठीक किया गया। कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर उन्हें जेल भेज रही है। फिलहाल रेमडेसिविर इंजेक्शन व आक्सीजन आसानी से लोगों को उपलब्ध हो रही है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए आवेदन की व्यवस्था भी आनलाइन कर दी गई है। जरूरतमंद लोग द्द5ढ्डष्श्र1द्बस्त्रह्लह्मड्डष्द्मद्गह्म.द्बठ्ठ पोर्टल पर जाकर आवेदन कर रहे हैं। आवेदकों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर जानकारी दी जाती है कि उक्त मेडिकल स्टोर या अस्पताल से इंजेक्शन ले सकते हैं।

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18 से 45 की उम्र के लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाने में दिक्कत आ रही है। लोगों को स्लाट नहीं मिल पा रहा है। इसका निस्तारण कैसे कराएंगे? गाजियाबाद जिले में बनाए गए सभी टीका केंद्रों पर प्रतिदिन आठ हजार लोगों को कोरोनारोधी टीका लगवाया जा रहा है क्योंकि 18 से 45 साल की उम्र के लोगों की संख्या अधिक है। इसीलिए स्लाट मिलने की समस्या आ रही है। जिस तरह अस्पतालों में बेड, आक्सीजन को लेकर हालात सामान्य हो गए हैं। ऐसे ही कुछ दिन में काफी संख्या में लोगों को टीका लग जाएगा। इसके बाद हालात खुद सामान्य हो जाएंगे।

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