पुलिस की नाक के नीचे चल रही थी अवैध पटाखा फैक्ट्री

जागरण संवाददाता गाजियाबाद मधुबन बापूधाम थाना क्षेत्र के मेरठ रोड पर पुलिस की नाक के

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 07:35 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:14 PM (IST)
पुलिस की नाक के नीचे चल रही थी अवैध पटाखा फैक्ट्री
पुलिस की नाक के नीचे चल रही थी अवैध पटाखा फैक्ट्री

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : मधुबन बापूधाम थाना क्षेत्र के मेरठ रोड पर पुलिस की नाक के नीचे कई माह से पटाखा फैक्ट्री चल रही थी और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। सोमवार को जब अधिकारियों को फैक्ट्री के चलने की सूचना मिली तो मौके पर छापामारी कर बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ। जिस जगह यह फैक्ट्री चल रही थी, पुलिस चौकी वहां से चंद कदमों की दूरी पर है। शुक्र रहा कि इतने लंबे समय तक फैक्ट्री संचालित होती रही और कोई हादसा नहीं हुआ। यदि जरा सी भी लापरवाही होती तो बड़ा हादसा हो सकता था और बड़े स्तर पर जानमाल की हानि हो सकती थी। फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद रातभर जांच चलती रही। फैक्ट्री से बरामद माल की कीमत तीन करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है। पुलिस ने फैक्ट्री को सील कर दिया है।

एसपी क्राइम दीक्षा शर्मा ने बताया कि पकड़े गए आरोपित फिरोजाबाद निवासी रवि आकाश, राकेश, विष्णु, पीलीभीत निवासी संदीप, व अंबेडकरनगर निवासी अरविद हैं। रवि, संदीप व आकाश लैब टेक्निशियन, राकेश व विष्णु सुपरवाइजर और अरविद मशीन आपरेटर है। फैक्ट्री मालिक त्रिनगर दिल्ली निवासी मनोज जैन, गीता कालोनी दिल्ली निवासी ललित गोयल, आशु और तरुण राय अभी फरार हैं। पुलिस की टीमें फरार आरोपितों की तलाश में दबिश दे रही हैं। ललित, तरुण व आशु साझेदार होने के साथ फैक्ट्री में केमिकल सप्लाई करते हैं।

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जमीन पर मारने वाले पटाखों का हो रहा निर्माण क्राइम ब्रांच प्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र ने बताया कि जांच में पता चला है कि इस अवैध फैक्ट्री में बच्चों के जमीन में मारने वाले पटाखों का निर्माण हो रहा था। इन पटाखों में काफी तीव्र विस्फोटक भरा जाता है। यह पटाखा जमीन पर मारते ही तेज आवाज करता है। दीपावली पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। आरोपित आर्डर के हिसाब से माल पूरे एनसीआर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सप्लाई कर रहे थे।

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ऐसे होता है पटाखों का निर्माण आरोपितों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि नाइट्रिक एसिड में चांदी मिलाकर सिल्वर नाइट्रेट बनाया जाता है। फिर सिल्वर नाइट्रेट में एथेनाल मिलाकर सिल्वर फ्लूमिनेट बनाया जाता है, जो विस्फोटक होता है। इस विस्फोटक में पत्थर की बजरी मिलाकर पटाखे तैयार किए जाते हैं। विस्फोटक युक्त बजरी को मशीनों में भरकर पटाखे बनाए जाते हैं। इसके बाद पटाखों का भंडारण किया जाता है जो मांग के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर भेजे जाते हैं।

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नहीं मिली किसी के पास डिग्री फैक्ट्री में छापामारी के दौरान अपने को लैब टेक्निशियन बताने वालों के पास से किसी प्रकार की कोई भी डिग्री नहीं मिली। इसके अलावा फैक्ट्री का लाइसेंस मांगने पर वह भी नहीं दिखा सके। मौके पर फैक्ट्री में 90 मजदूर काम करते हुए मिले।

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ये माल हुआ बरामद एथेनाल से भरे दो-दो सौ लीटर के छह ड्रम, 20-20 लीटर नाइट्रिक एसिड से भरी 10 केन, 250 कट्टे बजरी, एक हजार गत्ते के डिब्बे, 48 हजार छोटे-बड़े डिब्बे, 20 प्लास्टिक रोल, 38 पैकिग व मैन्यूफैक्चरिग मशीन, 400 पटाखों की पेटी, पटाखों के लिए केमिकल का तैयार मिश्रण 145 थैले, लैब में 75 बीकर समेत अन्य सामान

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फैक्ट्री मालिक की भूमिका की हो रही जांच पुलिस के मुताबिक पिछले करीब तीन माह से यह फैक्ट्री संचालित हो रही थी। मनोज जैन इस फैक्ट्री का संचालन कर रहा था। यह फैक्ट्री किराये पर ली गई थी। पुलिस मामले में जमीन मालिक की भूमिका की भी जांच कर रही है। जांच में दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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तीव्र विस्फोटक पूरे इलाके में मचा सकता है तबाही जानकारों के मुताबिक सिल्वर फ्लूमिनेट तीव्र विस्फोटक होता है। जरा सी लापरवाही से यह विस्फोटक तेज धमाके के साथ विस्फोट कर सकता है। यदि जरा सी भी लापरवाही होती तो जिस मात्रा में फैक्ट्री में यह केमिकल पाया गया है, उस लिहाज से यह आसपास के इलाके में तबाही मचा सकता था।

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