पाले से मटर की फसल को भारी नुकसान
फोटो नं.- 23मोदी-3 -बारिश के बाद कोहरा बन रहा सरसों एवं मसूर की फसलों के लिए भी घा
फोटो नं.- 23मोदी-3
-बारिश के बाद कोहरा बन रहा सरसों एवं मसूर की फसलों के लिए भी घातक
-उत्पादन प्रभावित होने से इन फसलो के भाव पहुंच जाएंगे आसमान पर
जागरण संवाददाता, मोदीनगर : पहले बारिश और अब लगातार पड़ रहा पाला मटर, मसूर, सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। मटर की पछेती फसल तो पाला अधिक पड़ने से नष्ट होने की कगार पर ही पहुंच गई है। ऐसे में किसान मौसम साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो अगले एक-दो सप्ताह पाला और कोहरा पड़ता रहा तो उत्पादन प्रभावित होने से मटर के भाव में भी इजाफा हो जाएगा।
जिले के सीमांत गांव सुराना, सुठारी, कुम्हैड़ा, कुन्हैड़ा, निवाड़ी समेत कई गांवों में बड़ी संख्या में किसान मटर की खेती करते हैं। इसके अलावा गाजियाबाद से सटे हापुड़, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर में भी बड़ी संख्या में किसान मटर की खेती करते हैं। जनवरी के शुरू में हुई बारिश से मटर की फसल को भारी नुकसान हुआ। एक सप्ताह तक सूरज नहीं निकला और लगातार तापमान गिरता गया। इसी का नतीजा रहा कि मटर में फूल का आना रुक गया। जिस गति से मटर की फसल का विकास हो रहा था, उसपर भी विराम लग गया। बारिश बंद होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि दिन में मौसम साफ होगा और कोहरे-पाले में कमी आएगी तो फसल अच्छी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पाला इस बार रिकार्डतोड़ पड़ा जिससे मटर के अलावा सरसों और मसूर को भी भारी नुकसान हुआ। जिन किसानों ने अच्छे भाव मिलने की चाह में मटर की पछेती फसल बोई थी, उनकी फसल भी नष्ट होने को है। ऐसी स्थिति के बीच किसान अब भी मौसम की तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं। सुराना निवासी किसान पप्पू यादव का कहना है कि मौसम के विपरीत रहने से इस बार मटर की खेती करने वाले किसानों को नुकसान हुआ है। अब भी उम्मीद है कि मौसम साफ हो जाए तो फसल का दोबारा से विकास शुरू हो और किसानों को कुछ फायदा हो जाए। वहीं, मसूर, सरसों की खेती करने वाले मोदीनगर से सटे गांव गदाना निवासी किसान मनोज नेहरा कहते हैं कि किसानों का भविष्य मौसम पर टिका होता है। इस बार मसूर और सरसों के हिसाब से मौसम विपरीत रहा है। यदि आगे भी मौसम ऐसे ही बना रहा तो निश्चित रूप से उत्पादन आधे से भी कम रह जाएगा।
गेहूं के लिए संजीवनी : पाला और बारिश ने जहां कुछ फसलों को नुकसान पहुंचाया है। वहीं, गेहूं के लिए यह मौसम संजीवनी से कम नहीं है। जिले में ईख के बाद किसान दूसरे नंबर पर गेहूं की खेती को तरजीह देते हैं। सरना निवासी किसान राम अवतार त्यागी कहते हैं कि इस बार पाला व बारिश पड़ने से गेहूं का विकास बेहतर हुआ है। निश्चित रूप से फसल का उत्पादन बेहतर रहेगा। इस बारे में कृषि विज्ञानी डॉ. अरविद यादव ने बताया कि जनवरी के अंत तक मौसम के पूरी तरह साफ होने की जानकारी मिल रही है। इससे जिन फसलों को थोड़ा नुकसान हो गया था, उनको फायदा होने की पूरी-पूरी संभावना है। गेहूं के लिए बारिश और पाला अच्छा रहा है।