निश्शुल्क एक्स-रे कराएं, चेस्ट इंफेक्शन का डर भगाएं

जागरण संवाददाता गाजियाबाद कोरोना की दूसरी लहर में अधिक लोगों की मौत हुई है। इसकी वजह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:03 PM (IST)
निश्शुल्क एक्स-रे कराएं, चेस्ट इंफेक्शन का डर भगाएं
निश्शुल्क एक्स-रे कराएं, चेस्ट इंफेक्शन का डर भगाएं

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: कोरोना की दूसरी लहर में अधिक लोगों की मौत हुई है। इसकी वजह वायरस सीधे फेफड़ों पर अटैक कर रहा है। ऐसे में लोग बिना चिकित्सक की सलाह के चेस्ट का सीटी स्कैन करवा रहे हैं। सीटी वेल्यू पांच से लेकर 12 तक आने पर स्ट्रायड खा रहे हैं। जबकि इतना फेफड़ों में संक्रमण आम दिनों में भी संभव है। वरिष्ठ रेडियोग्राफर रवींद्र कुमार तोमर का कहना है कि वायु प्रदूषण एवं धूमपान के चलते भी यह संक्रमण हो सकता है। बार-बार सीटी स्कैन कराना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद यदि सांस लेने में परेशानी हो रही है और आक्सीजन स्तर गिर रहा है तो डिजिटल एक्स-रे के जरिये भी चेस्ट इंफेक्शन का पता लगाना आसान है। जिला एमएमजी अस्पताल में यह एक्स-रे निश्शुल्क होता है। वह मार्च 2020 से लेकर अब तक कोरोना से निडर होकर युवा, महिला, बुजुर्ग एवं बच्चों के खूब एक्स-रे कर रहे हैं। कई बार चिकित्सक की परामर्श न होने पर सीएमएस डा. अनुराग भार्गव खुद ही पर्ची बनाकर मरीज का एक्स-रे करवा देते हैं। इन दिनों जिला एमएमजी अस्पताल में बेशक ओपीडी बंद हैं लेकिन फिर भी रोज 30 से 50 लोगों के चेस्ट का एक्स-रे किया जा रहा है। कोरोना संदिग्धों के अलावा हादसे में घायल एवं जेल से आने वाले बंदियों का भी एक्स-रे किया जा रहा है। दो महीने में पांच लोगों की जांच में संक्रमण मिला

वरिष्ठ रेडियोग्राफर रवींद्र कुमार बताते हैं कि विगत दो माह में केवल पांच मरीजों की चेस्ट का एक्स-रे करने पर दस फीसद संक्रमण पाया गया। कोरोना संक्रमित मानते हुए इन मरीजों का घर पर ही उपचार किया गया। 20 दिन बाद फिर से इनका एक्स-रे कराया गया तो संक्रमण खत्म हो गया। आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई। वह बताते हैं कि दो महीने में 32 संक्रमितों का एक्स-रे कर चुके हैं। बाद में पता लगने पर पूरे एक्स-रे कक्ष को सैनिटाइज करना पड़ा।

क्रासिग रिपब्लिक में रहने वाले रवींद्र कुमार कोरोना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमण से बचे हुए हैं। उनके दो बेटे आर्यन एवं अर्चित के साथ पत्नी शशि तोमर भी सुरक्षित हैं। ड्यूटी से जाने के बाद वह पूरी सावधानी के साथ घर में प्रवेश करते हैं। अलग कमरे में रहते हैं। खुद ही कपड़े धोते हैं। 1996 में स्वास्थ्य विभाग में नौकरी लगने के बाद पहली पोस्टिंग बागपत में और 2005 से गाजियाबाद में कार्यरत हैं।

chat bot
आपका साथी