अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स के ड्राफ्ट पर भेजे दस सुझाव
जीडीए ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) योजना के ड्राफ्ट का अध्ययन कर शासन को दस सुझाव भेजे हैं। उसमें अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स को रिपेयर डेवलप ऑपरेट ट्रांसफर (आरडीओटी) और बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) पर कंसेशनेयर को 30 वर्षों के लिए देने के बजाए 10 वर्ष तक संचालन का प्रावधान करने का सुझाव दिया है। यह भी कहा है कि काम अच्छा होने पर कंसेशनेयर के साथ करार 10-10 वर्ष के लिए आगे बढ़ाने का प्रावधान किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जीडीए ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) योजना के ड्राफ्ट का अध्ययन कर शासन को दस सुझाव भेजे हैं। उसमें अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स को रिपेयर डेवलप ऑपरेट ट्रांसफर (आरडीओटी) और बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) पर कंसेशनेयर को 30 वर्षों के लिए देने के बजाय 10 वर्ष तक संचालन का प्रावधान करने का सुझाव दिया है। यह भी कहा है कि काम अच्छा होने पर कंसेशनेयर के साथ करार 10-10 वर्ष के लिए आगे बढ़ाने का प्रावधान किया जा सकता है।
जीडीए के सीएटीपी आशीष शिवपुरी ने बताया कि शासन ने ड्राफ्ट में शासकीय भवन और भूखंडों पर निर्मित अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स के लिए शर्त रखी है कि कामगार की आय तीन लाख वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन निजी क्षेत्र की भूमि पर विकसित होने वाले कॉम्प्लेक्स में इकाई या डोरमेट्री किराये पर लेने वाले कामगार के लिए आय सीमा तय नहीं की है। इस पर शासन को सुझाव दिया गया है कि अधिकतम तीन लाख रुपये वार्षिक आय की सीमा निजी क्षेत्र की भूमि पर विकसित कॉम्प्लेक्स के लिए भी लागू होनी चाहिए। जिससे कि निजी विकासकर्ता कॉम्प्लेक्स का उपयोग गेस्ट हाउस के रूप में न कर सके।
उन्होंने बताया कि आरडीओटी और बीओटी पर अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स का संचालन कंसेशनेयर के हाथों में देते वक्त न्यूनतम भूमि मूल्य का 10 प्रतिशत अपफ्रंट धनराशि जमा कराने का सुझाव भी दिया है। यह परामर्श भी दिया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की एजेंसी द्वारा कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए न्यूनतम 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का प्रावधान केवल आवासीय भू-उपयोग पर निर्धारित किया जाए। कृषि व अन्य उपयोग की भूमि पर जहां भू-उपयोग परिवर्तन की जरूरत है, वहां कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 2000 वर्ग मीटर रखा जाए। यदि किसी सूरत में छोटे भूखंड पर भू-उपयोग परिवर्तन अनुमन्य किया जाए तो वहां बाहरी और आंतरिक विकास का दायित्व विकासकर्ता का निर्धारित किया जाए। शासन का ध्यान आकर्षित कराया है कि 2000 वर्ग मीटर और उससे अधिक क्षेत्रफल में कॉम्प्लेक्स बनाने पर रेरा के नियम लागू होते हैं। इस प्रकरण में रेरा के नियम लागू होंगे या नहीं, यह नीति स्पष्ट करने का सुझाव दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना की तरह अफोर्डेबल रेंटल हाउसिग कॉम्प्लेक्स योजना में भू-उपयोग परिवर्तन के लिए समिति गठित करने और समय सारिणी निर्धारित करने का सुझाव भी दिया गया है। डेढ़ एफएआर पर अतिरिक्त 50 प्रतिशत निश्शुल्क तल क्षेत्र देने के बजाए सीधे 2 एफएआर की अनुमति देने का सुझाव दिया है। इकाई बनाने के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 30 वर्ग मीटर के स्थान पर 22.7 वर्ग मीटर कारपेट एरिया करने और डोरमेट्री के लिए 50 वर्ग मीटर कारपेट एरिया का प्रावधान करने का सुझाव दिया है।