यशोदा अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी से हुआ चार मरीजों का इलाज

जासं साहिबाबाद कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल में कोविड-19 के संक्रमित मरीजों की जान बचाने के

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 06:42 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:42 PM (IST)
यशोदा अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी से हुआ चार मरीजों का इलाज
यशोदा अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी से हुआ चार मरीजों का इलाज

जासं, साहिबाबाद: कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल में कोविड-19 के संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। इस थेरेपी का इस्तेमाल कर चार मरीजों का उपचार किया जा चुका है।

यशोदा अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुनील डागर ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी काफी पुरानी तकनीक है। जब स्पैनिश फ्लू फैला था, तब इसका इस्तेमाल काफी कारगर साबित हुआ था। यशोदा अस्पताल में चार मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर किया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो रही है। इस थेरेपी के तहत ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर बीमार लोगों को चढ़ाया जाता है। ठीक हो चुके मरीजों के एंटीबॉडी से बीमार लोगों को रिकवरी में मदद मिलती है, इससे मरीज के शरीर में वायरस कमजोर होने लगता है। कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है। आइसीएमआर ने इसे स्टैंडर्ड केयर ऑफ ट्रीटमेंट (गारंटी का इलाज) नहीं माना है, और इसे ऑफ-लेबल प्लाज्मा थेरेपी का नाम दिया है। इलाज के दौरान प्लाज्मा थेरेपी के प्रयोग में उस वक्त लाया जाता है, जब स्टीरॉयड्स के प्रयोग का असर न दिखाई पड़े और कोविड -19 के इलाज का कोई अन्य उपाय न बचा हो। इस स्थिति में मरीज की अनुमति लेकर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए ब्लड बैंक में प्लाज्मा एफेरेसिस मशीन का होना और उसके इस्तेमाल के लिए अनुमति एवं लाइसेंस भी आवश्यक है, कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल के ब्लड बैंक के पास ये सुविधा एवं लाइसेंस दोनों ही मौजूद हैं। प्लाज्मा दाता का स्वस्थ होना जरूरी: प्लाज्मा दाता को कोविड-19 से पूरी तरह से ठीक होना जरूरी है। 14 दिनों के बाद प्लाज्मा दाता में जब कोई लक्षण न रह गया हो और लगातार दो परीक्षणों द्वारा कोविड-19 टेस्ट का नकारात्मक परिणाम आ जाएं तो ऐसे लोगों से प्लाज्मा लेकर उनका उपयोग कोरोना संक्रमित में इन्फ्यूजन के लिए किया जा सकता है।

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