कई बार असफलता खोल देती है सफलताओं की नई राहें : डॉ. चंदा यादव

जो छात्र-छात्राएं इस साल फेल हुए वह निराश न हों।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:55 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:55 PM (IST)
कई बार असफलता खोल देती है सफलताओं की नई राहें : डॉ. चंदा यादव
कई बार असफलता खोल देती है सफलताओं की नई राहें : डॉ. चंदा यादव

जासं, गाजियाबाद : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 12वीं परीक्षा के नतीजे सोमवार दोपहर जारी हो गए। इस साल परिणाम अच्छे रहे हैं। ज्यादातर छात्र परीक्षा में पास हुए हैं, लेकिन कुछ छात्र इस साल मौके से चूक गए और वे किसी कारणवश असफल हो गए, जो छात्र-छात्राएं इस साल फेल हुए वह निराश न हों। जीवन में असफल होकर इंसान जहां मानसिक रूप से मजबूत बनता है तो वहीं असफलता कई बार जीवन में कई नए मौके लेकर आती है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि कई बार जीवन में असफल होने वाले व्यक्ति को सामान्य से ज्यादा सफल होते देखा गया है।

डॉ. मनोवैज्ञानिक चंदा यादव का कहना है कि जीवन में व्यक्ति असल तौर पर जब असफल होता है जब वह अपने मन से हार जाए। जब तक वह अपने मन से हार नहीं मानता है वह असफल नहीं है। जीवन में यह अंतिम मौका नहीं है कितने ही मौके मिलेंगे स्वयं को सिद्ध करने के लिए। असफल होने के बाद कोई भी इंसान पहले से ज्यादा दिमागी तौर पर मजबूत होता है और यदि वह ठान लेता है तो सफल होने का शीर्ष पर पहुंचने का इरादा भी पहला से ज्यादा मजबूत हो जाता है। यही कारण है कि कई बच्चे जो 10वीं या 12वीं में फेल हुए, उन्होंने बाद में बड़ी सफलताएं हासिल की। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में सफल होना ही बेहतर भविष्य निर्धारित नहीं करता। फेल हुए हैं तो देखें कि कमी कहां रही। कहां से कमजोर रहे। अपने कमजोर पहलू को देखें और उसे मजबूत बनाने पर लग जाएं। एक ही कक्षा में दोबारा से पढ़ाई करना जीवन में बेहतर परिणाम देने वाला साबित हो सकता है।

असफलता बचा सकती है आपके कई साल

समाजशास्त्री डॉ. राकेश राणा का कहना है कि 12वीं की पढ़ाई कॅरियर में बड़े मायने रखती है। यदि इसे बेहतर तरीके से पढ़ लिया जाए तो कई परीक्षाओं और आगे पढ़ाई में ज्यादा काम आती है। असफल हुए हैं तो 12वीं के पाठ्यक्रम को दोबारा से पढ़ेंगे जो मजबूती से समझ पाएंगे, ज्यादा चांस हैं कि उस पढ़ाई को कभी न भूल पाएं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं तो 12वीं का पाठ्यक्रम दोबारा से पढ़ना सफलता की दो सीढ़ी एक साथ ऊपर ले जा सकता है। बच्चे को महसूस न होने दें अकेला

मनोवैज्ञानिक डॉ. चंदा यादव कहती हैं कि बच्चा इस साल असफल रहा है तो उसे सबसे ज्यादा जरूरत है अभिभावकों की। अभिभावक बच्चे को बिल्कुल भी अकेलापन महसूस न होने दें। फिलहाल परिस्थिति जो भी है बच्चे का समर्थन करें। उसे घुमाने ले जाएं और अभिभावकों की ज्यादा आपेक्षाएं बच्चे पर दबाव बना सकती हैं, जिनका परिणाम नकारात्मक हो सकते हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें। दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना बिल्कुल न करें। अभिभावक बच्चों के साथ बैठकर उनकी पढ़ाई और करियर की नई योजना बनाएं।

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