ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट न बनाने वाले बिल्डरों पर शिकंजा
ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट न बनाने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसा जा रहा है। रेरा की तर्ज पर जीडीए नई व्यवस्था करने जा रहा है। बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाने के लिए आवंटियों से मिलने वाली धनराशि अलग एस्क्रो खाते में जमा करानी होगी। इस खाते में जमा धनराशि का उपयोग दोनों वर्गों के फ्लैट का निर्माण कार्य में ही किया जाएगा। निर्माण कार्य के अनुपात में राशि खाते से निकलेगी। उसके लिए बिल्डर को प्रोजेक्ट इंजीनियर आर्किटेक्ट और चार्टर्ड एकाउंटेट की संस्तुति समेत प्रमाण पत्र जमा कराना होगा। ईब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनने पर ही प्रोजेक्ट का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट न बनाने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसा जा रहा है। रेरा की तर्ज पर जीडीए नई व्यवस्था करने जा रहा है। बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाने के लिए आवंटियों से मिलने वाली धनराशि अलग एस्क्रो खाते में जमा करानी होगी। इस खाते में जमा धनराशि का उपयोग दोनों वर्गों के फ्लैट का निर्माण कार्य में ही किया जाएगा। निर्माण कार्य के अनुपात में राशि खाते से निकलेगी। उसके लिए बिल्डर को प्रोजेक्ट इंजीनियर, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेट की संस्तुति समेत प्रमाण पत्र जमा कराना होगा। ईब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनने पर ही प्रोजेक्ट का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। 22 हजार से ज्यादा फ्लैट नहीं बने
जीडीए को यह व्यवस्था बिल्डरों की चालाकी की वजह से करनी पड़ रही है। बिल्डर आवासीय प्रोजेक्ट में एमआइजी, एचआइजी फ्लैट बनाकर बेच चुके हैं, लेकिन अब तक ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट का निर्माण नहीं किया गया। कई बिल्डरों ने तो दोनों वर्गों के फ्लैटों का निर्माण किए बगैर इंसेंटिव एफएआर का उपयोग कर अतिरिक्त आवासीय इकाईयां भी बना लीं। इस तरह के दो दर्जन से ज्यादा बिल्डर हैं, जिन्होंने 22 हजार 272 ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट नहीं बनाए। हाईटेक और इंटीग्रेटेड टाउनशिप के बिल्डरों ने ज्यादा धोखा दिया है। सबसे ज्यादा फ्लैट इन्हीं की आवासीय परियोजनाओं में प्रस्तावित हैं। नक्शा स्वीकृत होने पर ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाने ही होंगे
बिल्डरों के लिए बाध्यता है कि उन्हें आवासीय परियोजना में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस और 10 प्रतिशत एलआइजी फ्लैट बनाने होंगे। 2011 में शासन ने बिल्डरों को विकल्प दिया कि फ्लैट न बनाकर वह शेल्टर फीस प्राधिकरण में जमा करा सकते हैं। उस फीस से प्राधिकरण दोनों तरह के फ्लैट निर्धारित संख्या में बनाएगा। इस विकल्प का बिल्डरों ने गलत तरीके से फायदा उठाया। पहले ईडब्ल्यूएस और एलआइजी स्वीकृत करा लिए। एमआइजी और एचआइजी फ्लैट बनाकर बेचने के बाद ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाने की जगह जीडीए में शेल्टर फीस जमा करा दी। ऐसे में समय रहते दुर्बल और अल्प आय वर्ग के लिए आवासों की व्यवस्था नहीं हो पाई। अब जीडीए ने तय किया है कि अगर बिल्डर ने ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट समेत आवासीय परियोजना का नक्शा स्वीकृत कराया है तो उसे हर हाल में इन्हें बनाना होगा। शेल्टर फीस जमा करानी है तो नक्शा स्वीकृति के वक्त ही उसे जमा कराना होगा। जिससे समय रहते ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाए जा सकें।
बिल्डरों को हर हाल में ईडब्ल्यूएस और एलआइजी फ्लैट बनाने होंगे। इन फ्लैटों के लिए बिल्डरों को अलग एस्क्रो खाता खुलवाना होगा। उसमें ही इन फ्लैटों के आवंटियों से मिलने वाली धनराशि जमा करानी होगी। इस पैसे का उपयोग इस वर्ग के फ्लैट बनाने में ही होगा।
- कंचन वर्मा, वीसी, जीडीए