481 एमएलडी की क्षमता के आठ एसटीपी, फिर भी हरनंदी को कर रहे दूषित
जासं गाजियाबाद शहर में नगर निगम द्वारा 100 वार्ड में रोजाना 320 मिलियन लीटर डे (एमएलडी)
जासं, गाजियाबाद: शहर में नगर निगम द्वारा 100 वार्ड में रोजाना 320 मिलियन लीटर डे (एमएलडी) पानी की आपूर्ति की जाती है और इस्तेमाल किए गए पानी को शोधित करने के लिए कुल 481 एमएलडी की क्षमता के अलग-अलग स्थानों पर आठ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं। 30 एमएलडी पानी लोग घर और प्रतिष्ठान में लगे सबमर्सिबल का इस्तेमाल करते हैं। शहर में रोजाना इस्तेमाल किए जा रहे पानी से अधिक पानी शोधित करने की क्षमता के आठ एसटीपी होने के बावजूद हरनंदी नदी में दूषित पानी डाला जा रहा है। इसकी वजह इस्तेमाल होने वाले पानी को 100 फीसद शोधित नहीं करना है, यदि 100 फीसद पानी शोधित हो तो नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। क्षमता से कम चल रहे एसटीपी: शहर में मुख्य तौर पर डूंडाहेड़ा, गोविदपुरम, राजनगर एक्सटेंशन इंदिरापुरम और नूरनगर सिहानी में एसटीपी बनाए गए हैं। इसके बावजूद शहर में सीवरेज ओवरफ्लो होने की समस्या रहती है। इसकी वजह कुछ एसटीपी पर क्षमता से कम दूषित पानी का शोधित किया जाना है और कुछ एसटीपी पर क्षमता से अधिक दूषित पानी का पहुंचना है ,जिस कारण एसटीपी भी ओवरफ्लो हो जाता है। इसलिए हो रही हरनंदी दूषित: हरंनदी नदी के किनारे कई ऐसी कालोनियां हैं, जहां अब तक सीवर लाइन नहीं डाली गई है। जिस कारण दूषित पानी नाले के जरिये सीधे हरनंदी नदी में डाला जाता है। यदि यहां पर सीवर लाइन डालकर पानी को दूषित पानी को एसटीपी में शोधित करने का कार्य शुरू कर दिया जाए तो हरनंदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा हरनंदी नदी किनारे कई अवैध औद्योगिक इकाइयां भी संचालित हो रही हैं, जिनका पानी नदी में प्रवाहित किया जाता है। जबकि औद्योगिक इकाइयों में दूषित पानी को शोधित करने के लिए ईटीपी लगाना अनिवार्य है। ईटीपी में शोधित किए गए पानी को ही औद्योगिक इकाइयों से हरनंदी नदी में डाला जा सकता है।
हरनंदी नदी का प्रदूषित होने से रोकने के लिए जो एसटीपी क्षमता से कम चल रहे हैं, उनको क्षमता के अनुसार चलाने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में जल्द ही बैठक की जाएगी।
- महेंद्र सिंह तंवर, नगर आयुक्त