विभागों से समन्वय कर डेंगू की रोकथाम का कर रहे प्रयास : डा.संजय तेवतिया

शहर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसे काबू करने और डेंगू पीड़ितों के इलाज के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। विभाग की तैयारी और डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता के प्रयास समेत विभिन्न मुद्दों पर दैनिक जागरण के शाहनवाज अली ने संयुक्त चिकित्सालय संजय नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.संजय तेवतिया से विस्तार से वार्ता की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 Oct 2021 07:53 PM (IST) Updated:Sun, 31 Oct 2021 07:53 PM (IST)
विभागों से समन्वय कर डेंगू की रोकथाम का कर रहे प्रयास : डा.संजय तेवतिया
विभागों से समन्वय कर डेंगू की रोकथाम का कर रहे प्रयास : डा.संजय तेवतिया

शहर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसे काबू करने और डेंगू पीड़ितों के इलाज के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। विभाग की तैयारी और डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता के प्रयास समेत विभिन्न मुद्दों पर दैनिक जागरण के शाहनवाज अली ने संयुक्त चिकित्सालय संजय नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.संजय तेवतिया से विस्तार से वार्ता की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..

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पिछले करीब एक माह से डेंगू के मामले तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसकी रोकथाम और इलाज के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

-वर्तमान में डेंगू का प्रकोप ज्यादा है। इसके लिए अस्पताल में पर्याप्त बेड और दवाइयां उपलब्ध हैं। अभी यहां 92 मरीजों में 28 डेंगू के मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि सभी खतरे से बाहर हैं। अगर मामले और बढ़े भी तो बेड बढ़ाने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शहरी क्षेत्र और विकास खंडों में डेंगू की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए है। डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभाग भी समन्वय कर स्वच्छता अभियान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

अभी तक डेंगू के जो भी मामले सामने आए हैं, आखिर उनमें जान का जोखिम आप कितना मानते हैं?

-देखिए, डेंगू तीन प्रकार का होता है। इसमें क्लासिकल (साधारण) डेंगू, जिसमें बुखार पांच से सात दिन तक रहता है। दूसरा होता है हेमरेजिक। इसके लिए ब्लड टेस्ट जरूरी होता है और इसी से इसका पता लग सकता है। इसमें नाक, मसूड़ों, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान होते हैं और यह सबसे खतरनाक होता है। डेंगू शाक सिड्रोम में बेचैनी, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा का ठंडा होना, धीरे-धीरे बेहोश होना, नाड़ी तेज और धीरे चलना, ब्लड प्रेशर का लो हो जाना आदि लक्षण है। अभी तक यहां क्लासिकल डेंगू के मरीज ही आए हैं, जो ठीक होकर वापस घरों को लौट रहे हैं। सामान्य तौर पर डेंगू की पहचान किन लक्षणों से होती है?

-डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। इसके प्रमुख लक्षणों में अचानक तेज सिरदर्द व बुखार होना, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, आंखों में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी होना शामिल है। वहीं गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूड़ों से खून आता है तथा त्वचा पर चकत्ते उभरते हैं। दो से सात दिनों में मरीज की स्थिति गंभीर भी हो सकती है। शरीर का तापमान कम हो जाता है। डेंगू के लक्षण दिखने पर तत्काल अस्पताल में उपचार कराना चाहिए।

घर या बाहर अगर किसी को बुखार के साथ शरीर में दर्द महसूस हो रहा है तो वह इमरजेंसी में किस तरह की दवा ले सकता है?

-सबसे पहले तो यही कहूंगा कि बुखार या बदन दर्द महसूस होने पर कोई दर्द निवारक दवाई कतई न लें। जरूरी तो यह है कि तत्काल चिकित्सक के पास जाएं और जांच के बाद ही कोई भी दवाई लें। इमरजेंसी के समय सिर्फ पेरासीटामोल लें। दर्द निवारक दवा से साइड इफेक्ट हो सकते हैं। परेशानी बढ़ सकती है। पानी की कमी को दूध या जूस से पूरी न करें। अधिक से अधिक पानी और नारियल पानी पीयें। पूरी तरह आराम करें और पर्याप्त नींद लें। इससे राहत मिलेगी। सुबह और शाम के समय डेंगू का मच्छर अधिक सक्रिय रहता है। ऐसे में जरूरी न हो तो बाहर बिल्कुल भी न निकलें।

बाक्स..

परिचय

नाम : डा. संजय तेवतिया

पद : मुख्य चिकित्सा अधिकारी, संयुक्त अस्पताल, संजय नगर

माता-पिता : सुशीला देवी, जगबीर सिंह

मूल निवास : गांव भूप खेड़ी, जिला मेरठ

शिक्षा : एमबीबीएस

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बाक्स..

सेवा कार्य और तैनाती

वर्ष 1986 : लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ से एमबीबीएस।

वर्ष 1990 : इमरजेंसी मेडिकल आफिसर पद पर चमौली, उत्तराखंड में पहली तैनाती।

वर्ष 1991 : स्वास्थ्य अधिकारी झालू, न्यू पीएचसी, जनपद बिजनौर।

वर्ष 1993 : मुजफ्फरनगर जिले की अलग-अलग पीएचसी में मेडिकल आफिसर पद पर तैनाती।

वर्ष 1999 : मुख्य नेत्र सर्जन, जिला चिकित्सालय, मुजफ्फरनगर।

वर्ष 2004 : कुष्ठ रोग कंट्रोल यूनिट में तैनाती।

वर्ष 2005 : नेत्र सर्जन, सीएचसी, मुरादनगर।

वर्ष 2008 : इमरजेंसी मेडिकल आफिसर कंसल्टेंट व सीनियर कंसल्टेंट

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