काश! सुनी होती गुहार, तो आज नहीं गूंजती चीख-पुकार

मानकों को लेकर उठाए गए सवाल और लगाई गई गुहार सुनी गई होती तो आज यहां मौत तांडव नहीं करती और चीख-पुकार नहीं गूंजती।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 08:15 PM (IST) Updated:Sun, 03 Jan 2021 08:15 PM (IST)
काश! सुनी होती गुहार, तो आज नहीं गूंजती चीख-पुकार
काश! सुनी होती गुहार, तो आज नहीं गूंजती चीख-पुकार

अनिल त्यागी,मोदीनगर:

यदि आप किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उखलारसी श्मशान स्थल गए हैं, तो यहां नगरपालिका द्वारा कराई गई अच्छी-अच्छी पेंटिग देखकर आपके मन में भी सकारात्मक भाव आए होंगे। श्मशान स्थल को मोक्षस्थली का नाम दिया गया है और सकारात्मक संदेश देते स्लोगन भी लिखे गए हैं। इनको लिखवाने और यहां के कथित सुंदरीकरण के नाम पर मोटा धन खर्च किया गया, लेकिन इसे बनाने वालों ने एक भी स्लोगन और संदेश से सीख नहीं ली। यहां तक कि घटिया निर्माण सामग्री की कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन तब किसी ने संज्ञान नहीं लिया। काश! मानकों को लेकर उठाए गए सवाल और लगाई गई गुहार सुनी गई होती, तो आज यहां मौत तांडव नहीं करती और चीख-पुकार नहीं गूंजती।

ऐसा भी नहीं है कि घटिया निर्माण सामग्री लगाने का प्रकरण चेयरमैन विकास तेवतिया या ईओ निहारिका चौहान के संज्ञान में नहीं था। स्थानीय लोग लगातार इस पर आपत्ति जता रहे थे। कई बार इस संबंध में चेयरमैन, ईओ को लिखित शिकायतें भी दी गई थी, लेकिन किसी के भी कान पर जूं नहीं रेंगी। यहां तक कि श्मशान परिसर के अंदर बने शौचालय और अन्य निर्माण कार्य पर भी किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।

अंदर कराए गए अन्य निर्माण में भी पीली ईंट और घटिया दर्जे की निर्माण सामग्री लगाई गई थी। जरूरत पड़ने पर जब रविवार को राहत बचाव कार्य में लगी टीम ने दीवार और निर्माण को अंदर रास्ता बनाने के लिए तोड़ा, तो इसकी भी पोल खुल गई। यह और बात है कि वह निर्माण गिरा नहीं।

chat bot
आपका साथी