कालम: हाल बेहाल

जीडीए के मुख्य अभियंता विवेकानंद सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद शासन द्वारा किसी की तैनाती नहीं की गई है। कामकाज में बाधा न हो इसके मद्देनजर अधीक्षण अभियंता एसके सिन्हा को प्रभारी मुख्य अभियंता बनाया गया। अब हुआ कुछ यूं कि पिछले दिनों जीडीए में कुछ अभियंताओं के तबादले हुए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 08:37 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 08:37 PM (IST)
कालम: हाल बेहाल
कालम: हाल बेहाल

मुझसे पूछे बगैर किसी अभियंता का स्थानांतरण न करें

जीडीए के मुख्य अभियंता विवेकानंद सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद शासन द्वारा किसी की तैनाती नहीं की गई है। कामकाज में बाधा न हो, इसके मद्देनजर अधीक्षण अभियंता एसके सिन्हा को प्रभारी मुख्य अभियंता बनाया गया। अब हुआ कुछ यूं कि पिछले दिनों जीडीए में कुछ अभियंताओं के तबादले हुए। उसमें कुछ अभियंत्रण जोन के भी थे। अभियंत्रण जोन के चहेते अभियंताओं का तबादला होना प्रभारी मुख्य अभियंता साहब को रास नहीं आया। उन्होंने तुंरत जीडीए के वरिष्ठ अधिकारी को फोन लगाया और सीधे बोले कि मुझसे पूछे बगैर अभियंत्रण जोन से किसी अभियंता का स्थानांतरण न करें, जबकि प्रभारी मुख्य अभियंता उक्त अधिकारी से काफी कनिष्ठ हैं। उक्त प्रकरण जीडीए में चर्चा का विषय बना हुआ है। ------------

निगम की मुसीबत बना कूड़ा

शहर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। धौलाना विधायक असलम चौधरी ने गालंद में कूड़ा डालने का विरोध कर नगर निगम द्वारा कूड़ा निस्तारण की योजना को परवान नहीं चढ़ने दिया है। ऐसे में कूड़ा लेकर गाड़ियों के गालंद जाने पर रोक लग गई है। व्यवस्था ठीक हो, इसके लिए नगर निगम के अधिकारी अब हापुड़ में जिला प्रशासन के पास चक्कर काट रहे हैं, ताकि विरोध कर रहे लोगों को रोका जा सके और समस्या से शहरवासियों को छुटकारा दिलाया जा सके। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर तीन साल पहले जब जमीन अधिग्रहित की गई थी, उस वक्त नगर निगम ने जमीन को अपने कब्जे में क्यों नहीं लिया। अगर जमीन नगर निगम के कब्जे में होती तो अब गालंद में कूड़ा निस्तारण में आ रही समस्या भी नहीं होती। इसके साथ ही शहर में अलग-अलग जगह डंपिग ग्राउंड भी नहीं बनाने पड़ते।

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सिर मुंडाते ही पड़ गए ओले

सिर मुंडाते ही ओले पड़ गए..। यह कहावत जीडीए के सहायक अभियंता संत प्रसाद जायसवाल पर चरितार्थ हुई। करीब एक साल पूर्व एक मामले में शिकायत मिलने पर तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष ने उन्हें इस काम से हटाकर मुख्य अभियंता कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। काफी समय तक काम न मिलने के कारण वह परेशान थे। जीडीए के उच्चाधिकारियों तक पैरवी करवाने के बाद भी काम नहीं बना तो उन्होंने जीडीए से किसी अन्य प्राधिकरण में स्थानांतरण के लिए जुगाड़ लगा दिया। छह माह पूर्व की गई पैरवी का कई माह तक कोई परिणाम नहीं आया। पिछले दिनों जीडीए में ही उन्हें प्रवर्तन जोन-चार में तैनाती मिल गई। अब अच्छे दिन की शुरुआत हुई ही थी कि प्रवर्तन का काम मिलने के अगले ही दिन छह माह पूर्व की गई पैरवी से कानपुर विकास प्राधिकरण में स्थानांतरण का फरमान आ गया।

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राज्यपाल के आने की खबर से ही संवर गया मार्ग

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का दौरा बेशक वन स्टाप सेंटर में नहीं हुआ, लेकिन उनके आने की तैयारियों के क्रम में आइडीएसपी स्थित पूरी सड़क चमक गई। एमएमजी के मुख्य गेट से लेकर वन स्टाप सेंटर तक की सड़क को सीएमओ द्वारा उखड़वाकर दोबारा से बनवा दिया गया। परिसर में खड़े कबाड़ बने पुराने वाहनों को भी रातोंरात उठाकर गायब करवा दिया गया। वन स्टाप सेंटर की रंगाई-पुताई भी हो गई। जिला एमएमजी अस्पताल में दो दिन तक सफाई होती रही और कराहते हुए एक भी मरीज को भर्ती करने में चिकित्सकों ने तनिक देर नहीं लगाई। ओपीडी में कतार भी देखने को नहीं मिली। डेंगू वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल भी बढ़ा दी गई। आरटी-पीसीआर लैब में भी दो दिन तक दिन-रात जांच की गई। जिला महिला अस्पताल में ओपीडी के साथ ही गर्भवती महिलाओं को भर्ती करने और इलाज करने को लेकर चिकित्सक और स्टाफ सक्रिय रहे।

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