शौर्य गाथा

ष्टड्डश्चह्लड्डद्बठ्ठ रूश्रद्धड्डठ्ठ स्द्बठ्ठद्दद्ध द्मद्बद्यद्यद्गस्त्र ड्ड क्कड्डद्म ह्यश्रद्यस्त्रद्बद्गह्मह्य द्ग1द्गठ्ठ ड्डद्घह्लद्गह्म ह्यष्ह्मड्डद्वढ्डद्यद्गस्त्र 2द्बह्लद्ध 17 ढ्डह्वद्यद्यद्गह्लह्य आयुष गंगवार गाजियाबाद संजय नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त शौर्य चक्र विजेता कैप्टन मोहन

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 08:33 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 08:36 PM (IST)
शौर्य गाथा
शौर्य गाथा

आयुष गंगवार, गाजियाबाद : संजय नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त शौर्य चक्र विजेता कैप्टन मोहन सिंह रावत को कारगिल युद्ध में छह जुलाई 1999 को पाक सैनिकों ने 17 गोलियां मारकर छलनी कर दिया था। बावजूद इसके मोहन सिंह ने हैंड ग्रेनेड फेंककर पाक सैनिक को ढेर कर दिया था। कई गोली लगने के कारण बायां पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था। वह बैसाखी के सहारे चल रहे थे। मगर 21 साल बाद पिछले दिनों दिल्ली के एक अस्पताल में उनका बायां पैर काटना पड़ा। चिकित्सकों ने बताया कि बारूद का कुछ अंश होने के चलते सेप्टिक बन गई थी। बावजूद इसके आज भी कैप्टन मोहन सिंह पूरे जोश और उत्साह के साथ कारगिल की वीर गाथा सुनाते हैं।

मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल निवासी कैप्टन मोहन सिंह के पिता चंदर सिंह रावत भी सेना में थे। 12वीं की परीक्षा पास करते ही वह सेना में भर्ती हो गए और साल 1998 में 21वीं राष्ट्रीय राइफल में तैनाती मिली। पांच जुलाई 1999 की देर रात पाक सैनिकों के सीमा में घुसने की खबर मिली। बटालियन के साथ चार घंटे की गश्त के बाद पाक सैनिकों से सामना हुआ। छह जुलाई की सुबह छह बजे से गोलीबारी शुरू हो गई। शाम पांच बजे तक कैप्टन मोहन सिंह तीन पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर चुके थे। पाकिस्तान के 15 सैनिक मारे गए और भारतीय सेना के दो जवान भी शहीद हो गए थे। बारिश के बीच फायरिग चलती रही, इसी बीच अचानक पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी रोक दी। लगा कि पाक सेना पीछे हट गई है। मोहन सिंह आगे बढ़े ही थे कि पेड़ों के पीछे छिपे पाक सैनिक ने एके-47 से उन पर ताबड़तोड़ गोली चलानी शुरू कर दी। मोहन सिंह के बाएं पैर और दाएं हाथ में सात-सात, बाएं हाथ में एक और सीने में दो गोलियां लगीं। हाथ से बंदूक छूट गई, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने हैंड ग्रेनेड निकालकर पाकिस्तानी सैनिक को ढेर कर दिया। उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए अक्टूबर 2001 में राष्ट्रपति भवन में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।

----------- जख्म हुआ हरा, लेकिन जज्बा बरकरार

सेक्टर-23-संजयनगर के डी ब्लॉक में पत्नी देवेश्वरी के साथ रहने वाले मोहन सिंह के बड़े बेटे मनोज कुमार नायब सूबेदार के रूप में दिल्ली में तैनात हैं तो वहीं छोटा बेटा संदीप कुमार नागपुर में हवलदार है। 17 गोलियां लगने के बाद 13 माह तक उनका इलाज चला और फिर सेना में सेवा नहीं दे पाए।

chat bot
आपका साथी