बड़ी भाभी मां की सीख आशीर्वाद की तरह हमारे साथ
हमारा बड़ा संयुक्त परिवार होने के बावजूद भी हमारी सबसे बड़ी भाभी मां स्वर्गीय देवकी देवी मेहरा कभी भी बच्चों में भेदभाव नहीं करती थीं।
हमारा बड़ा संयुक्त परिवार होने के बावजूद भी हमारी सबसे बड़ी भाभी मां स्वर्गीय देवकी देवी मेहरा कभी भी बच्चों में भेदभाव नहीं करती थीं। मैं उनके बच्चों के हमउम्र था। छोटी-छोटी चीज भी बांटकर देती थीं। सात बहनों ने तिल के दाने को भी बांटकर खाया था। अपने और पराये का भेदभाव नहीं करती थीं। उनकी ये शिक्षा पूरे परिवार के लिए बहुपयोगी साबित हुई। इसी कारण हमारे परिवार के सदस्य दूर-दूर रहने के बाद भी आज आपस में जुड़े हैं। सभी एक-दूसरे का सुख-दुख बांटना नही भूलते हैं। भाभी मां आपकी दी हुई सीख हम कभी नही भूलेंगे। आपकी सीख, शिक्षा, आशीर्वाद की तरह हमेशा हमारे साथ है।
-नंदन मेहरा, गर्जिया अपार्टमेंट इंदिरापुरम।
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पिताजी ने दी थी समय से घर आने की सीख
कुछ संस्मरण ऐसे होते है, जिन्हें जीवनभर भुला पाना बहुत मुश्किल होता है। पिताजी सिताब सिंह वर्मा कुछ सख्त मिजाज थे। बेकार का घूमना-फिरना और उसमें भी खासकर रात्रि में घूमना उनको बिल्कुल भी पसंद नहीं था। यह मुझे अच्छा नहीं लगता था। ऐसा लगता था कि बेकार का पहरा लगाकर रखते हैं। जिस तरह पक्षी शाम को अपने घोंसले में चले आते हैं, उसी तरह हमारे लिए भी सख्त हिदायत थी कि शाम के सात बजे के बाद कहीं भी हो, घर पहुंच जाएं। पिताजी का पूर्णिमा के बाद प्रथम श्राद्ध पड़ता है। मैं 22 वर्ष का था, जब पिताजी का वर्ष 2008 में हार्ट अटैक के कारण आकस्मिक निधन हो गया था। उनकी पाबंदियों के कारण ही शायद आज मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ न्यायालय सहायक के पद पर कार्यरत हूं।
- दीपक वर्मा, निवासी-गिरधर एन्क्लेव, साहिबाबाद।