मेट्रो कॉरिडोर के अंशदान को लेकर गेंद कैबिनेट के पाले में

मेट्रो कॉरिडोर के लिए दिलशाद गार्डन से नया बस अड्डा तक नगर निगम के अंशदान को लेकर लखनऊ में मुख्य सचिव ने जीडीए व नगर निगम अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें दोनों ओर से डीएमआरसी को चुकाने वाले अंशदान को लेकर अपना पक्ष रखा गया। बैठक में जीडीए को इस मामले में दोबारा प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया, जिसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में जाने बाद गेंद पाले में चली गई है। मेट्रो कॉरिडोर निर्माण में करीब 1

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 10:48 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 10:48 PM (IST)
मेट्रो कॉरिडोर के अंशदान को लेकर गेंद कैबिनेट के पाले में
मेट्रो कॉरिडोर के अंशदान को लेकर गेंद कैबिनेट के पाले में

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : मेट्रो कॉरिडोर के लिए दिलशाद गार्डन से नया बस अड्डा तक नगर निगम के अंशदान को लेकर लखनऊ में मुख्य सचिव ने जीडीए व नगर निगम अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें दोनों ओर से डीएमआरसी को चुकाने वाले अंशदान को लेकर अपना पक्ष रखा गया। बैठक में जीडीए को इस मामले में दोबारा प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया, जिसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में जाने बाद गेंद पाले में चली गई है।

मेट्रो कॉरिडोर निर्माण में करीब 1800 करोड़ रुपए की लागत आई है, जिसमें जीडीए, यूपीएसआइडीसी और आवास विकास परिषद अपने हिस्से का 1029 करोड़ रुपये अंशदान दे चुके हैं। नगर निगम को करीब 200 करोड़ रुपये का अंशदान देना है, जिसके लिए वह तैयार नहीं है। निगम ने शासन से गुहार लगाई थी कि जीडीए से उनके हिस्से का अंशदान दिलवाया जाए। जीडीए ने उनकी जमीनों का पुन‌र्ग्रहण किया है। उसके एवज में उनसे अंशदान का भुगतान कर दिया जाए। इस मामले में मंगलवार को जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा एवं मुख्य अभियंता विवेकानंद ¨सह एवं नगर निगम के अधिकारी मुख्य सचिव के साथ बैठक में शामिल हुए। जीडीए ने तर्क दिया कि वह निगम के हिस्से का अंशदान अदा नहीं कर सकते। नगर निगम सरकारी जमीनों का केयरटेकर होता है। जमीन पर मालिकाना हक शासन का है। पुन‌र्ग्रहण की स्थिति में उनकी कीमत राजस्व विभाग को अदा की जा सकती है। बिना शासनादेश के राजस्व विभाग का पैसा निगम के अंशदान के रूप में अदा नहीं किया जा सकता। इस मामले में दोनों का पक्ष सुनते हुए मुख्य सचिव ने जीडीए से इस मामले में दोबारा प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा, जिसके बाद गेंद केबिनेट के पाले में पहुंच गई है।

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मुख्यमंत्री ने शहरी विकास मंत्रालय को लिखा पत्र

मेट्रो संचालन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र भेजा है, जिसमें डीपीआर का जल्द स्वीकृति कराने को कहा गया है। इसकी स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र से 375 करोड़ रुपया मिलेगा।

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