बिल बकाया, फिर भी रोशन हैं दफ्तर

जागरण संवाददाता गाजियाबाद बिजली महकमा पांच से 10 हजार रुपये से अधिक बिजली बिल बकाया होने

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:46 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:46 PM (IST)
बिल बकाया, फिर भी रोशन हैं दफ्तर
बिल बकाया, फिर भी रोशन हैं दफ्तर

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : बिजली महकमा पांच से 10 हजार रुपये से अधिक बिजली बिल बकाया होने पर बत्ती गुल कर देता है, लेकिन बात अगर सरकारी दफ्तरों की करें तो कार्रवाई के नाम पर सिर्फ रिमाइंडर भेजे गए। सरकारी कार्यालयों पर करीब 14 करोड़ रुपये का बकाया है। बकायेदार महकमों की सूची में ग्राम्य विकास विभाग पर ढाई करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

बिजली बिल के बकाया वसूली को लेकर बिजली विभाग के तमाम अभियान जारी हैं। वहीं, बकाया अगर सरकारी विभागों का हो तो विद्युत विभाग के अधिकारियों की कार्रवाई की गति कछुए को भी मात देती दिखाई पड़ती है। सरकारी विभाग गाजियाबाद में बिजली विभाग का 13 करोड़ 92 लाख रुपये से अधिक का बकाया दबाकर बैठे हैं। पुलिस से लेकर शिक्षा, चिकित्सा, ग्राम्य विकास, आवास व न्याय विभाग तक बिजली का बिल चुकाए बिना मुफ्त की बिजली से दफ्तर रोशन कर रहे हैं। बिल का बकाया (लाख में)

विभाग ----- बकाया

ग्राम्य विकास ---- 250.08

गृह विभाग पुलिस -- 27.71

प्राथमिक शिक्षा ------ 7.21

ग्राम पेयजल योजना समिति 117.43

चिकित्सा एलोपैथिक --- 26.87

चिकित्सा सार्वजनिक --- 111.52

न्याय ------- 45.80

आवास -------- 5.47

इसके अलावा प्रशासनिक सुधार, व्यापार कर, खेल विभाग, उद्यान विभाग समेत अन्य विभागों पर लाखों रुपया बकाया है।

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काफी समय से है बिल बकाया

जनपद के करीब दो दर्जन सरकारी विभागों पर 13 करोड़ 92 लाख सात हजार रुपये बकाया है। इसमें कई विभागों ने काफी समय से बिल जमा नहीं कराया है। बावजूद इसके सख्त कार्रवाई करने के विद्युत विभाग के अधिकारी प्रभावशाली विभागों के आगे गुहार लगाने और इंतजार करने का रास्ता अख्तियार किए हुए हैं। दरअसल, पुलिस, स्वास्थ्य, ग्राम्य, शिक्षा व न्याय विभाग के अलावा सरकारी विभागों पर विद्युत विभाग का करोड़ों बकाया है।

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विभागों को बिजली बिल बनने के साथ-साथ भेज दिए जाते हैं। अधिक बकायेदार संबंधित विभागों के मुख्य कार्यालयों को भेजे गए हैं। इनमें से कई विभागों से बिल की अदायगी हो चुकी है। अभी बकाया करीब 14 करोड़ रुपये चल रहा है। इसकी वसूली के लिए भी विभागीय स्तर से कार्रवाई की जा रही है।

- आरके राणा चीफ इंजीनियर पीवीवीएनएल

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