खातों में पहुंचा सरकार का पैसा, बिना यूनीफार्म स्कूल पहुंच रहे बच्चे

विभाग के रिकार्ड में एक लाख बच्चों के भेजे गए पैसे चौथाई ने भी नहीं की खरीद जागरण टीम ने की स्कूलों की पड़ताल अभिभावक बोले पता नहीं कब आया पैसा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 06:05 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 06:05 AM (IST)
खातों में पहुंचा सरकार का पैसा, बिना यूनीफार्म स्कूल पहुंच रहे बच्चे
खातों में पहुंचा सरकार का पैसा, बिना यूनीफार्म स्कूल पहुंच रहे बच्चे

संवाद सहयोगी, फिरोजाबाद: परिषदीय स्कूलों के बच्चों को ड्रेस और जूतों में कमीशनखोरी खत्म करने की सरकार की पहल अब तक सफल होती नजर नहीं आ रही है। जिले में एक लाख बच्चों के लिए ड्रेस व अन्य सामान का पैसा अभिभावकों के खाते में भेज दिया गया, लेकिन एक चौथाई बच्चों के पास न तो नई ड्रेस है, न स्वेटर और जूते। वहीं ठंड का असर दिखने लगा है।

जागरण टीम मंगलवार दोपहर एक बजे सदर ब्लाक के प्राथमिक स्कूल नगला श्रोती पहुंची। सौ बच्चे मौजूद थे, लेकिन 20 पुरानी ड्रेस में थे और 80 पुरानी ड्रेस में। प्रधानाध्यापक मनोज कुमार नागर ने बताया कि स्कूल के 107 बच्चों में से 47 के अभिभावकों के खाते में धनराशि आ गई, अभिभावकों को यूनीफार्म खरीदने को कहा है। वहीं कंपोजिट स्कूल वजीरपुर जेहलपुर के पंजीकृत 348 में 242 बच्चे उपस्थित थे, लेकिन नई ड्रेस किसी के पास नहीं थी। प्रधानाध्यापक राजेश कुमार ने बताया कि 57 बच्चों के अभिभावकों को पैसा मिल है, लेकिन किसी ने ड्रेस नहीं खरीदी। नगर क्षेत्र के कंपोजिट स्कूल मथुरा नगर में दो सौ से अधिक अभिभावकों के खाते में धनराशि आ गई है। इसी स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ने वाली छात्रा आरती के पिता नेत्रपाल से जागरण ने फोन पर बात की तो उनका कहना था कि अभी पैसा आने की जानकारी नहीं है। अंग्रेजी माध्यम नगला भाऊ में कक्षा चार में पढ़ने वाले चमन यादव के पिता सुभाष चंद्र का भी यही जवाब था। बताया बैंक से मैसेज भी नहीं आया। कल जाकर देखेंगे।

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किसी स्कूल में एक भी बच्चे का नहीं आया पैसा

प्राथमिक स्कूल आसफाबाद में पंजीकृत 653 छात्र-छात्राएं बिना यूनीफार्म के पढ़ रहे थे। प्रधानाध्यापक मोहस्सिम अब्बास ने बताया कि अब तक किसी बच्चे के अभिभावक के खाते में धनराशि नहीं आई है। सौ से ज्यादा का डाटा आनलाइन भी हो चुका है। इस तरह के जिले में सैकड़ों स्कूल हैं।

ये बनाई गई है नई व्यवस्था

शासन द्वारा परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रत्येक शैक्षिक सत्र में दो यूनीफार्म, जूता, मोजे, स्वेटर और बैग उपलब्ध कराया जाता था। ठेकेदारी में चलने वाली व्यवस्था में कमीशनखोरी पर सवाल उठे तो नई व्यवस्था बनी। इस शैक्षिक सत्र में सरकार ने सीधे अभिभावकों के खातों में 1100 रुपये भेजे। इसमें छह सौ की दो ड्रेस, दो सौ का स्वेटर, 120 का बैग, 140 के जूते और 40 के मोजे खरीदना है।

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पिछले वर्ष कक्षा तीन में दो जोड़ी ड्रेस, जूता, मोजा, बैग और सर्दी में स्वेटर मिल गया था, लेकिन इस बार कक्षा चार में अब तक कुछ नहीं मिला है। क्योंकि पापा के खाते में अब तक धनराशि नहीं मिली है।

हिमांशू, छात्र

फोटो-8

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घर पर जो कपड़े पहनता हूं, वहीं स्कूल में पहनकर आता हूं। पापा से कई बार स्कूल का सामान दिलाने को कहा है, लेकिन वह पैसे नहीं मिलने की बात कहते हैं।

शिवा, छात्र

फोटो-नौ

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एक नजर.

1860: एक से आठवीं तक के परिषदीय स्कूल

1.86 लाख: जिले में परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत छात्र-छात्राएं

एक लाख: शिक्षा विभाग के मुताबिक बच्चों के अभिभावकों के खाते में आया पैसा

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जिले के एक लाख अभिभावकों के खाते में धनराशि आ गई है, लेकिन वे सामान खरीदने में उदासीनता बरत रहे हैं। सभी खंड शिक्षाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों को अभिभावकों के साथ बैठक कर ड्रेस स्वेटर व अन्य सामान खरीदवाने के निर्देश दिए हैं। इसकी लगातार निगरानी की जा रही है।

अंजली अग्रवाल, बीएसए

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