शौचालय से आत्म निर्भर बनेंगे महिलाओं के समूह
111 गांवों में बने सामुदायिक शौचालयों के संचालन की मिलेगी जिम्मेदारीपंचायती राज और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन मिलकर कर रहे तैयारी।
फीरोजाबाद, जासं: ग्रामीण महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की कड़ी में सरकार ने एक और कदम बढ़ाया है। कई ग्राम पंचायतों में राशन की दुकानों की कमान सौंपने के बाद अब हर ग्राम पंचायत में बन रहे सामुदायिक शौचालय का संचालन उनके हाथ में देने के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए पंचायती राज विभाग राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) मिलकर काम कर रहे हैं।
प्रदेश के साथ जिले की सभी ग्राम पंचायतों के दो अक्टूबर 2018 को खुले में शौचमुक्त होने की घोषणा हो चुकी है, लेकिन हकीकत ये है कि गांवों में अब भी बहुत से लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। इसकी बड़ी वजह है कि गांवों में आबादी के साथ परिवारों की संख्या भी बढ़ रही है। इसलिए अब सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनवाए जा रहे हैं। इनकी क्षमता आबादी और उपयोग की संभावना को देख कर हर गांव में अलग अलग रखी गई है।
जिले में डेढ़ सौ शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया है। बाकी पंचायतों में काम चल रहा है। पहले शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को देने की योजना थी, लेकिन सरकार ने अब इनका जिम्मा महिलाओं के समूहों को देने का फैसला किया है। इसके लिए पंचायत राज विभाग ने उपायुक्त एनआरएलएम को पत्र लिखकर समूहों का चयन करने के लिए कहा है।
'शौचालय की देखरेख और सफाई को हर महीने नौ हजार रुपये ग्राम पंचायत के खाते से दिए जाएंगे। पहले चरण में 111 शौचालय समूहों को दिए जाने की तैयारी चल रही है।'
नीरज कुमार सिन्हा, डीपीआरओ इस ब्लॉक में इतने की जिम्मेवारी -ब्लाक ---सार्वजनिक शौचालय -अरांव --11
-एका --04 -फीरोजाबाद---19
-हाथवंत----11 -जसराना---10
-मदनपुर----13 -नारखी-----12
-शिकोहाबाद----18 -टूंडला-----13 हर महीने ऐसे मिलेंगे नौ हजार
-केयर टेकर के लिए छह हजार रुपये महीना।
- मरम्मत, साबुन, ग्लब्ज मास्क के लिए 1500 रुपये।
-पानी, बिजली व अन्य खर्च-1300 रुपये।
-सफाई सामग्री को हर छह महीने बाद 1200 रुपये।