कोरोना काल में टूटने लगी छात्रवृत्ति की उम्मीदें

समाज कल्याण विभाग से स्वीकृति के बाद भी रहे गए वंचित तकनीकी खामियों का खामियाजा भी भुगतने को हो रहे मजबूर।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 02:03 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 02:03 AM (IST)
कोरोना काल में टूटने लगी छात्रवृत्ति की उम्मीदें
कोरोना काल में टूटने लगी छात्रवृत्ति की उम्मीदें

केस-एक: एत्मादपुर की नेहा चौधरी शिकोहाबाद के एसआरडी कालेज में बीडीसी की छात्रा है। बुधवार की दोपहर चिलचिलाती धूप में वह भाई के साथ आटो से जिला मुख्यालय पहुंचीं। वह फार्म सही भरा होने और पात्र होने के बाद भी बीटीसी की छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायत लेकर आई थी। केस-दो: हाथवंत ब्लाक के गांव इटाहरी से आइटीआइ छात्र आशीष कुमार भी हाथ में फार्म की कापी और बैंक पासबुक लेकर समाज कल्याण विभाग पहुंचा। उसने बताया कि उसके मोबाइल पर छात्रवृत्ति की राशि भेजे जाने का संदेश आया था, लेकिन बैंक खाता बंद होने से उसे धनराशि नहीं मिल पाई है। जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: विकास भवन स्थित समाज कल्याण विभाग में ये नजारे इस कोरोना काल में रोज दिखाई देते हैं। कोरोना के साथ ही धूप और गर्मी की चिता छोड़ ऐसे कई छात्र- छात्रा यहां आते हैं, जिन्हें पात्र होने और फार्म सही भरे होने के बाद भी छात्रवृत्ति की धनराशि नहीं मिली है। दश्मोत्तर छात्रवृत्ति योजना में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन सैकड़ों ऐसे छात्र- छात्रा हैं जिन्हें आवेदन स्वीकृत होने के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिला। कालेज संचालक इन पर फीस जमा करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। जिन छात्र छात्राओं ने आवेदन में अपने पूर्णांक और प्राप्तांक सही भरे और जिसे विभाग ने भी सत्यापित किया। उन्हें भी शासनस्तर पर ब्लाक कर दिया गया है। अब ये छात्र- छात्रा भटक रहे हैं। दूसरे बैंक खातों में पहुंच गई धनराशि:

शासन ने छात्रवृत्ति का भुगतान आधार कार्ड बेस्ड बैंकखातों में किया गया है। जिन छात्र- छात्राओं के एक से अधिक खाते हैं, उनके साथ ये समस्या अधिक हुई है। धनराशि उनके उस खाते में पहुंच गई जिनमें आधार कार्ड लिक था। जबकि उन्होंने आवेदन में दूसरे खाते की डिटेल भरी थी।

विभाग से सत्यापित किए गए कई आवेदन शासन स्तर पर ब्लाक कर दिए गए हैं। इस बारे में जानकारी मांगी गई है। शासन ने उन खातों की सूची भेजी है, जिनमें आधार बेस्ट पेमेंट किया गया है। इसका अध्ययन किया जा रहा है।

-डा. प्रज्ञा शंकर तिवारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी

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