सहकारी समितियों पर पहुंचते ही खत्म हुई डीएपी, लौट रहे किसान

टूंडला क्षेत्र की समितियों पर पहुंचाई गई एनपीके खाद बाजार में दुकानों पर भी स्टाक खत्म ओवर रेटिंग जारी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 06:03 AM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 06:03 AM (IST)
सहकारी समितियों पर पहुंचते ही खत्म हुई डीएपी, लौट रहे किसान
सहकारी समितियों पर पहुंचते ही खत्म हुई डीएपी, लौट रहे किसान

जागरण टीम, फिरोजाबाद: प्रशासन और कृषि विभाग के तमाम दावों के बावजूद हकीकत ये है कि जिले की अधिकांश साधन सहकारी समितियों पर डाइ अमोनियम फास्फेट (डीएपी) का संकट गहराया है। शुक्रवार को डीएपी का स्टाक पहुंचते ही हाथोंहाथ बिक गया। शनिवार को पहुंचे किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा। टूंडला क्षेत्र में किसान विकल्प के रूप नाइट्रोजन पोटेशियम फास्फेट (एनपीके) का उपयोग कर रहे हैं। वहीं निजी दुकानों पर भी खाद का स्टाक खत्म है। जहां हैं, वहां ओवर रेटिंग की जा रही है।

जिले में पिछले दस दिनों से खाद की किल्लत बनी हुई है। सरसों और आलू की खेती करने वाले किसान डीएपी और एनपीके की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं हो पा रही। किसानों की शिकायत पर शनिवार को दैनिक जागरण की टीम ने सहकारी समितियों का जायजा लिया। राजा का ताल स्थित अली नगर कैंजरा साधन सहकारी समिति के गोदामों पर दोपहर 12.30 बजे ताले लगे थे। हालांकि कार्यालय खुला था। इसमें समिति सचिव सुदेश सिंह एवं कुछ किसान बैठे थे।

सचिव ने बताया कि गुरुवार को 500 बोरी डीएपी आई थी, जो शुक्रवार को खत्म हो गई। अब जो किसान आ रहे हैं। उन्हें सोमवार को बुलाया जा रहा है। तब तक खाद आ जाएगी। इधर टूंडला क्षेत्र की किसी भी समिति पर डीएपी नहीं थी। यहां किसानों को उसकी जगह एनपीके दी जा रही थी।

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मांग दस बोरी की, मिल रहीं दो

खाद संकट की स्थिति यह है कि डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके भेजी जा रही है, लेकिन ये भी मांग के अनुरूप नहीं मिल रही। किसानों का कहना है कि जरूरत दस बोरी की है, लेकिन केवल दो बोरी मिल रही है। वहीं सचिव यह कह रहे हैं कि पहले सरसों की फसल उगाने वाले किसान ले जाए, आलू की फसल के लिए अभी देरी है।

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एनपीके डीएपी से बेहतर काम करती है। इसकी कोई कमी नहीं है। टूंडला की समितियों पर दो दिन में पांच पांच सौ बोरी एनपीके पहुंचाई गई हैं। अली नगर कैंजरा में भी शनिवार की दोपहर 25 टन एनपीके भिजवाई है। डीएपी भी पहुंचाई जा रही है।

- विवेक यादव, सहायक निबंधक सहकारिता

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