बेटे के सपनों पर कुर्बान कर दिए अपने ख्वाब

टूंडला के रेलवे कर्मचारी ने बेटे को बनाया आइएएस केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्त पर हैं आइएएस संतोष यादव।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 05:31 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 05:31 AM (IST)
बेटे के सपनों पर कुर्बान कर दिए अपने ख्वाब
बेटे के सपनों पर कुर्बान कर दिए अपने ख्वाब

जागरण टीम, फीरोजाबाद: रेलवे हास्पिटल की छोटी सी नौकरी करने वाले पिता ने एक बार बेटे की जुबां से आइएएस बनने का सपना सुना तो उसे पूरा करने में जी-जान लगा दी। कम तनख्वाह और पांच बच्चों के परिवार की मुश्किलें कभी किसी को नहीं दिखने दीं। बेटा आइएएस बना तो पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।

ये कहानी टूंडला में रेलवे से सेवानिवृत बीआर यादव की है, जो अपने बेटे-बेटियों के लिए श्रेष्ठ पिता हैं। रेलवे हास्पिटल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात थे। तीन बेटों एवं दो बेटियों की जिम्मेदारी थी। परिवार के सबसे बड़े बेटे संतोष ने पढ़ाई के दौरान ही आइएएस बनने की इच्छा रखी तो पिता ने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए उसी दिन से पैसा जोड़ना शुरू कर दिया। बीआर यादव बताते हैं बेटे के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हर आवश्यक चीजें उपलब्ध कराई, तो बेटे ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले आइआइटी से इंजीनियरिग की और फिर 1995 में बेटा आइएएस में चयनित हो गया। इन दिनों केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर मानव संसाधन मंत्रालय दिल्ली में सचिव हैं। वहीं वहीं दूसरा बेटा विकास शिक्षक हैं। बीआर यादव कहते हैं कि मैंने ठान ली थी कि बेटे का सपना पूरा करने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ूंगा।

---

पापा ने दिखाया आइएएस का सपना

मेरे पापा आरके मानिक यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। उन्होंने हमेशा मुझे कड़ी मेहनत करने और आगे बढ़ने का सपना दिखाया। पिता की प्रेरणा से मेहनत की और आइआइटी रुड़की से बीटेक करने के बाद मैं साफ्टेवयर इंजीनियर बन गया। इसके बाद नौकरी शुरू कर दी। एक दिन पापा ने मुझे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मुझमें भरोसा जताया कि मैं आइएएस बन सकता हूं। इसके बाद मैंने तैयारी शुरू की और पापा का सपना 2012 में साकार कर आइएएस में सफल हुआ।

-चंद्र विजय सिंह, डीएम फीरोजाबाद

-----

काबलियत पर भरोसा जताकर आगे बढ़ाते रहे पिताजी

मैं प्रयागराज के गांव मिट्ठपुर का रहने वाला हूं। आज मैं जो हूं उसके पीछे पिताजी द्वारा जगाया भरोसा है। मेरे पिताजी लालजी शुक्ला ने मुझे हमेशा आगे बढ़ाया, जब भी अपनी सफलता को लेकर मुझे संदेह हुआ हो तो वे कहते थे तुमसे सब हो जाएगा। वे मुझे बचपन से साहब कहकर आत्मबल बढाते रहे और मैं आगे बढ़ता रहा। मेरे पिता अब भी गांव के हर बच्चे की शिक्षा को लेकर वह अब भी प्रयासरत हैं।

-अशोक कुमार शुक्ल, एसएसपी फीरोजाबाद

--------

पापा का संघर्ष रहा प्रेरणा स्त्रोत:

- मैं जसराना के भैंडीगांव का रहने वाला हूं। पापा राम रक्षपाल सिंह का संघर्ष मेरा एकमात्र प्रेरणा स्त्रोत रहा है। एक शिक्षक के रूप में मैंने उन्हें हमेशा एक नैतिकतापूर्ण जीवन जीते हुए पाया। उन्होंने जीवन की हर प्रतिकूल स्थिति का सामना अपने उसूलों के आधार पर करने की सीख दी। उन्हीं उसूली पर चलकर मैं आइपीएस बना और उनके आशीर्वाद से अपना फर्ज ईमानदारी से निभा रहा हूं।

-धर्मेंद्र सिंह, आइपीएस, वर्तमान में लखनऊ में डीआइजी ट्रैफिक

-------

पापा ने दी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की सीख:

-पापा कृष्ण कुमार गौड़ सिचाई विभाग में अधिशासी अभियंता के पद पर रहे हैं। कक्षा एक से लेकर हाईस्कूल तक स्कूल के अलावा उन्होंने ही हमें पढ़ाया। उन्हीं की शिक्षा के दम पर मैंने राष्ट्रीय स्तर के कई अवार्ड हासिल किए। आइएएस में पहले प्रयास में चयनित होने पर वह काफी खुश थे। उन्होंने खुद पूरी जिदगी ईमानदारी से काम किया और हमें भी ईमानदारी और लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। -चर्चित गौड़, सीडीओ (आइएएस)

chat bot
आपका साथी