हिकमत की हिम्मत से हारता रहा कोरोना

मुश्किल वक्त में बने जरूरतमंदों और प्रशासन के मददगार कोरोना संक्रमितों की मौत होने पर कराया अंतिम संस्कार।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 05:42 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 05:42 AM (IST)
हिकमत की हिम्मत से हारता रहा कोरोना
हिकमत की हिम्मत से हारता रहा कोरोना

जासं, फीरोजाबाद: कोरोना जैसी आपदा में जब लोग अपनों से भी दूरी बनाकर रखने को मजबूर थे, तब करबला कमेटी के अध्यक्ष हिकमत उल्ला खां ने मुसीबत में फंसे लोगों की मदद की। शहर में अमन बहाल बनाए रखने के लिए अपनी परवाह नहीं की। कोरोना मरीजों की मौत पर उनका अंतिम संस्कार भी कराया।

तीन अप्रैल 2020 को जिले में मस्जिद में ठहरे जमाती सबसे पहले कोरोना संक्रमित पाए गए थे। देश भर में जमातियों पर संक्रमण फैलाने के आरोप लगे, तो माहौल में दहशत फैलने लगी। ऐसे में पुलिस प्रशासन और समाज के बीच सामंजस्य बनाने के लिए करबला कमेटी के अध्यक्ष हिकमत उल्ला खां आगे आए। मुस्लिम धर्मगुरुओं और पुलिस प्रशासन के बीच संवाद के जरिए घरों में नमाज अदा करने पर सहमति बनाई। शहर में अलग-अलग स्थानों पर रह रहे तब्लीगी जमात के सदस्यों को कोरोना जांच कराने के लिए राजी किया। धर्मगुरु मौलाना इश्तियाक की कोरोना से मृत्यु पर प्रोटोकाल के अनुसार उनके स्वजन को भी अंतिम संस्कार में आने की अनुमति नहीं थी। ऐसे में वक्त में हिकमत उल्ला खां प्रशासन के मददगार बने। मुहल्ला शीशग्रान कब्रिस्तान में पांच लोगों के साथ उन्हें सिपुर्द-ए-खाक कराया। इसके बाद प्रशासन की सलाह पर उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट भी कराया, लेकिन वह नेगेटिव आए। रमजान में इंतजाम थे बड़ी चुनौती

लाकडाउन के दौरान ही रमजान शुरू हो रहे थे तो दूसरी तरह मुस्लिम इलाके कोरोना के हाट स्पाट बने थे। इफ्तार के लिए खुजूर और फल हाट स्पाट क्षेत्रों में पहुंचाना चुनौती बन गया था। कभी लोग घरों के बाहर घूमते तो कभी बेरीकेडिग तोड़ने की घटनाएं हो रही थी। ऐसे में प्रशासन ने साथ मिलकर हिकमत ने समाज के मुअज्जद लोगों को एकजुट किया और रणनीति बनवाई।

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