योग की तपस्या से थायराइड से मुक्ति

दो साल तक लगातार योगासन से बंद हो गई थायराइड की दवाई व्यवसायी परिवार की महिला की महिला का घट गया वजन।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 06:59 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 06:59 AM (IST)
योग की तपस्या से थायराइड से मुक्ति
योग की तपस्या से थायराइड से मुक्ति

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: 45 साल की दीप्ति बंसल को पांच साल पहले अचानक बैचेनी होने लगी। वजन बढ़ने लगा। जांच में हाइपो थायराइड निकला। दवा के बावजूद वजन बढ़ता गया और 58 किलो से वजन 75 किलो पर पहुंच गया था। इसके बाद दीप्ति ने दवाई के साथ-साथ योग विशेषज्ञ की देखरेख में नियमित योग किया। दो साल में थायराइड की समस्या से मुक्ति मिल गई।

शहर के गंज मुहल्ला में रहने वालीं दीप्ति बंसल बताती हैं कि डाक्टर ने थायराइड के लिए जब जीवन भर तक सुबह एक गोली खाने की अनिवार्यता बताई तो वे परेशान हो गईं। इसके बाद योगा शुरू किया। योग विशेषज्ञ अंकित शर्मा की देखरेख में सुबह की नियमित होम क्लास लेने लगीं। दो साल तक लगातार सुबह और शाम एक-एक घंटे तक योग किया। इस दौरान वे दवाई भी लेती रहीं। दो साल बाद उनका वजन घटना शुरू हुआ। एक साल से दवा भी बंद हो चुकी है और वजन लगभग 60 किलो है। वे अब भी नियमित सुबह योग करती हैं।

योग के पैकेज में उज्जाई और ग्रीवा संचालन व्यायाम जरूरी: विशेषज्ञ अंकित वर्मा बताते हैं कि उन्होंने उत्तराखंड ओपन यूनीवर्सिटी से योग में एमए किया है। योग से थायराइड की बीमारी दूर हो जाती है। अन्य योग के साथ उज्जाई प्राणायाम और ग्रीवा संचालन व्यायाम करना होता है। ग्रीवा संचालन में गर्दन का व्यायाम होता है। इसके चार भाग होते हैं। सांस भरकर गर्दन को घुमाया जाता है और फिर दायीं और बायीं नासिका छिद्र से सांस बाहर छोड़ी जाती है। उज्जाई प्राणायाम में कंठ को संकुचित किया जाता है। गले से सांस खींची जाती है। इसके बाद गर्दन को झुकाकर कंठ से लगाते हैं और सांस को रोकते हैं। बाद में गर्दन को सीधा करके सांस को क्रम से नासिका के दाएं और बाएं छिद्र से छोड़ा जाता है। उदगीत प्राणायाम में कंठ से सांस खींचकर ओम का उच्चारण किया जाता है। दीप्ति बंसल ने विश्वास और समर्पित भाव से योग किया। अब थायराइड नार्मल है और दवा बंद हो गई है। --ये है सुबह शाम का योग पैकेज--

-भस्त्रिका प्राणायाम- तीन से पांच मिनट

-कपाल भाति-- पांच से दस मिनट

-अनुलोम विलोम--दस मिनट

-उज्जाई प्राणायाम--दस से 12 बार-

- उदगीत प्राणायाम- 11 से 21 बार

-ग्रीवा संचालन व्यायाम-दस बार(सभी चारों स्टेप)

-भुजंग आसन और उष्ट आसन-तीन से पांच बार

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