कारतूसों के साथ पकड़े गए दो सिपाहियों को दस-दस साल की सजा

अपर सत्र न्यायालय ने पलटा फैसला एटा और बुलंदशहर में तैनात थे सिपाही 2006 में दोनों से पकड़े गए थे टूंडला में 1254 कारतूस हाथरस के हैं रहने वाले।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 06:53 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 06:53 AM (IST)
कारतूसों के साथ पकड़े गए दो सिपाहियों को दस-दस साल की सजा
कारतूसों के साथ पकड़े गए दो सिपाहियों को दस-दस साल की सजा

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: 15 वर्ष पूर्व एटा पुलिस के शस्त्रागार के 1254 कारतूसों के साथ टूंडला में पकड़े गए दो सिपाहियों को अपर सत्र न्यायालय ने दस-दस साल की सजा सुनाई है। इससे पूर्व दोनों सिपाहियों को अवर सत्र न्यायालय से दोष मुक्त कर दिया गया था। पकड़े जाने के समय एक सिपाही एटा पुलिस में आरमोरर के पद पर था, जबकि दूसरा बुलंदशहर पुलिस लाइन में तैनात था। आरोपित सिपाही लोकपाल सिंह यादव पुत्र बद्री प्रसाद यादव निवासी महरारा थाना सहपऊ हाथरस व जय किशोर गौतम पुत्र मंगली गौतम निवासी महरारा सहपऊ हाथरस को जेल भेज दिया गया है। ये था प्रकरण

मामला 28 जनवरी 2006 का है। तत्कालीन टूंडला थाना प्रभारी कौशल सिंह ने चेकिग के दौरान रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म के पास एक शख्स को भारी मात्रा में कारतूसों के साथ पकड़ा था। पकड़े गए कांस्टेबल लोकपाल सिंह यादव के थैले से एसएलआर के 714 कारतूस बरामद हुए थे। लोकपाल उस समय बुलंदशहर पुलिस लाइन में तैनात था। पुलिस से बचकर थैला फेंक फरार हुए शख्स का नाम कांस्टेबल जय किशोर गौतम आरमोरर पुलिस लाइन एटा बताया गया। इसके द्वारा फेके गए थैले से 303 बोर के 416 करतूस, 9एमएम के 120 कारतूस और एके 47 के चार कारतूस बरामद हुए थे। लोकपाल ने बताया था कि वे एटा पुलिस लाइन से कारतूस लेकर कानपुर जा रहे थे। फरार होने वाले जय किशोर के साथ उसका भांजा भी था। पुलिस ने दोनों सिपाहियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए थे। 28 नवंबर 2016 को सीजेएम न्यायालय से साक्ष्य के अभाव में दोनों को बरी कर दिया गया था। जिला शासकीय अधिवक्ता सत्र न्यायालय में की थी अपील: अवर न्यायालय ने दोनों सिपाहियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी द्वारा सत्र न्यायालय में अपील की गई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी प्रिय प्रताप सिंह ने केस को साबित करने के लिए दलीलें दी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 7 विजय कुमार आजाद ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को बदलते हुए दोनों को दस-दस वर्ष का कारावास और 19-19 हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई।

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