जिनके लिए जीवन जिया, उन्होंने ही शव नहीं लिया
छह दिन रखा रहा महिला का शव नगर निगम ने कराया अंतिम संस्कार बैंककर्मी नातिन मौत की खबर मिलने पर टूंडला से लौट गई बंगाल।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कोरोना के खौफ में जिंदगी की चाहत ने संबंधों के धागे भी कमजोर कर दिए हैं। डर इस कदर है कि अब लोग अपनों का शव लेने तक से कतरा रहे हैं। बंगाल निवासी महिला की संक्रमण से यहां मौत होने पर उसका शव छह दिन तक अपनों के आने के इंतजार में रखा रहा। स्वजन के इन्कार पर नगर निगम के कर्मचारियों ने उनका अंतिम संस्कार किया।
प. बंगाल के उत्तरी 24 परगना निवासी 75 वर्षीय लक्ष्मी घोष का भरा-पूरा परिवार है। टूंडला की एक बैंक में नातिन लिपिक बनी, तो वे उसकी देखभाल के लिए यहां आ गईं। सरस्वती नगर कालोनी में किराए के मकान में वे नातिन संग रहने लगीं। अप्रैल के आखिरी दिनों में उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उन्हें स्वशासी राजकीय मेडिकल कालेज के कोविड हास्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां दो मई को उनकी मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी सूचना स्वजन को दी। मगर, कोई शव लेने नहीं आया। मेडिकल कालेज प्रशासन ने स्वजन से फोन पर संपर्क किया, तो उन्होंने कोलकाता रहने का हवाला देकर शव लेने से मना कर दिया। पांच दिन वृद्धा का शव अपनों के इंतजार में रखा रहा। शनिवार को मेडिकल कालेज की प्राचार्य डा. संगीता अनेजा के पत्र पर नगर निगम ने शव का कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार कराया। सरस्वती नगर के निवासियों का कहना है कि दादी की मृत्यु की जानकारी होने पर उनकी नातिन कोलकाता चली गई। इसके बाद लौटकर नहीं आई। - सोफीपुर में नवनिर्मित अंत्येष्टि स्थल पर कराया अंतिम संस्कार: कोविड से मृत व लावारिश शवों के अंतिम संस्कार को नगर निगम ने सोफीपुर स्थित दरगाह के निकट चार प्लेटफार्म तैयार कराए हैं। शनिवार की शाम छह बजे पहली बार यहीं पर लक्ष्मी के शव का अंतिम संस्कार कराया गया। नगर आयुक्त विजय कुमार ने बताया कि लावारिश शवों के अंतिम संस्कार के लिए सोफीपुर में 24 घंटे के लिए चार-चार कर्मचारियों की टीम तैनात की गई है।