कोरोना ने बढ़ाई बंदियों की परिवार से दूरी
ेसंक्रमण फैलने के डर से दस माह से बंद है मिलाई कारागार में लगा पीसीओ ही बचा है एक सहारा।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कोरोना ने जेल में रह रहे बंदियों की उनके परिवार से दूरी बढ़ा दी है। दस माह पहले बंद हुई मुलाकात की शुरुआत अभी नहीं हुई है। कारागार परिसर में लगे पीसीओ बूथ से ही वे स्वजन से बात कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें नंबर लगाना पड़ता है।
वर्तमान में जिला कारागार में 1700 बंदी हैं। पिछले साल मार्च में कोरोना काल की शुरुआत से पहले रोजाना औसतन 150 लोग बंदियों से मुलाकात करने कारागार आते थे, लेकिन कोरोना काल में मिलाई बंद हो गई। अब बंदी अपने स्वजन से पीसीओ बूथ से ही बात कर पाते हैं। रोजाना चार दर्जन बंदी पीसीओ से अपने घर बात कर पाते हैं। - एक सप्ताह में आता है नंबर, पांच मिनट होती है बात-
कारागार में बंदियों की संख्या अधिक होने से हर दूसरे-तीसरे दिन भी उनकी बात नहीं हो पाती है। जेल अधीक्षक मुहम्मद अकरम खान ने बताया कि बंदियों को स्वजन से बात करने के लिए कम से कम एक सप्ताह इंतजार करना पड़ता है। यानी यदि एक बार बात हो गई तो दूसरी बार बात एक सप्ताह बाद ही हो पाती है। - पीसीओ में लगा है टाइमर-
पीसीओ में टाइमर फिट है। इसलिए वे पांच मिनट ही बात कर सकते हैं। इससे अधिक समय होते ही काल कट जाती है। अधीक्षक ने बताया कि हरेक बंदी से उनके स्वजन के दो-दो मोबाइल नंबर कारागार प्रशासन के पास हैं। वे इन्हीं नंबरों पर बात कर सकते हैं। बंदी जैसे ही बायोमीट्रिक सिस्टम पर अंगुली लगाते हैं, उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए दोनों नंबर स्क्रीन पर आ जाते हैं। यदि वे किसी तीसरे नंबर पर बात करना चाहें तो बात नहीं हो पाएगी। - बातचीत का डाटा होता है रिकार्ड-
बंदी अपने स्वजन से जो भी बात करते हैं, उसका डाटा पीसीओ में रिकार्ड होता रहता है। कारागार प्रशासन इस बातचीत को कभी भी सुन सकता है।