अस्पताल की बेहाल व्यवस्था से संकट में जिदगी

जागरण संवाददाता फतेहपुर हार्ट अटैक ब्रेन स्टोक या फिर दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:08 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:08 PM (IST)
अस्पताल की बेहाल व्यवस्था से संकट में जिदगी
अस्पताल की बेहाल व्यवस्था से संकट में जिदगी

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : हार्ट अटैक, ब्रेन स्टोक या फिर दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज को उपचार सुविधा मिले और उसकी जान बचाई जा सके इसका पूरा इंतजाम जिला अस्पताल में है। यह प्रबंधन में ही छेद है जब अस्पताल में सुविधाएं होने के बाद भी बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। इमरजेंसी का रजिस्टर गवाह है कि यहां बीते तीन माह में 45 गंभीर रोगियों की सांसें टूट गई, लेकिन इनके लिए ट्रामा सेंटर में रखे वेंटिलेटर तक नहीं खोले गए। अब भी यहां रेफर-रेफर का खेल खेला जा रहा है।

जिला अस्पताल के 12 वेंटिलेटर जरूर एल-2 हॉस्पिटल खागा भेज दिए गए हैं, लेकिन गंभीर रोगियों के लिए अब भी जिला अस्पताल में पाच वेंटिलेटर ट्रामा सेंटर के ऊपर वाले कक्ष में रखे हैं। गजब बात यह है कि इनका संचालन रोगियों के लिए किया ही नहीं जाता बल्कि जैसे ही रोगी को गंभीर हालत में देखते है तो उसे तुरंत कानपुर के लिए रेफर कर दिया जाता है। इसी तरह जिला अस्पताल की माडुलर ओटी का लाभ भी दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजों को बेहद कम ही मिल पाता है, जैसे ही गंभीर रोगी जिला अस्पताल पहुंचता है उसे रेफर कर दिया जाता है।अगर जिला अस्पताल के वेंटिलेटर शुरू कर दिए जाएं तो अति गंभीर दशा में पहुंचने वाले मरीजों की जान बचाई जा सकती है। डिजिटल एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड का लाभ नहीं

जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे और अल्टासाउंड का लाभ सभी के लिए है, लेकिन नियमित संचालन न होने की वजह से यहां आम रोगियों को नहीं बल्कि पहुंच वाले रोगियों को ही इन सुविधाओं का लाभ मिलता है। सामान्य व्यक्ति को बाहर से कराने की सलाह दे दी जाती है। कई बार तो लोग यहां से बेहतर नर्सिंग होम जाना समझते हैं।

प्राइवेट कक्षों का नहीं मिल रहा लाभ

जिला अस्पताल के पास कुल चार प्राइवेट कक्ष हैं, जिनमें दो-दो मरीज भर्ती किए जा सकते हैं। दो कक्ष निर्माणाधीन है जिससे पिछले दो माह से इनमें मरीज भर्ती नहीं होते हैं, जबकि अवशेष बचे दो कक्षों में एक में मरीज सिर्फ इस लिए भर्ती नहीं होते क्योंकि इस कक्ष के शौचालय का उपयोग वार्ड के मरीजों के लिए होता है। एक मात्र कक्ष वीआइपी के लिए रिजर्व रखा जाता है। एक रुपये की जांच व्यवस्था भी फेल

जिला अस्पताल की पैथालॉजी में भले ही स्टाफ के रूप में हर माह लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन जिला अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली जांचे अधिकांश बाहर ही होती है। क्योंकि पैथालॉजी की जांच पर लोगों को विश्वास नहीं है। एक रुपये में प्राइवेट पैथालॉजी भी संचालित है लेकिन कोरोना काल में यह भी भरपूर सेवा नहीं दे रही है।

जिला अस्पताल में पांच वेंटिलेटर है जो ऑपरेटर न होने की वजह से नहीं चल पा रहे हैं। मांग की गई है आने पर इन्हें संचालित किया जाएगा। इमरजेंसी में मरीज देखे जाते हैं, और अस्पताल में ही अल्टासाउंट व एक्स-रे की सुविधा के साथ जांच की भी सुविधा है लेकिन तीमारदार भीड के कारण बाहर से कराते हैं तो इसमें अस्पताल प्रशासन क्या करे।

डॉ. प्रभाकर सीएमएस

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