सर्दी से ठिठुर रहे बेजुबान, नहीं है पर्याप्त इंतजाम

जागरण टीम फतेहपुर बेसहारा गोवंश को आश्रय मिले इसके लिए जिले में 28 सरकारी गोशालाएं

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 Jan 2021 05:49 PM (IST) Updated:Sun, 31 Jan 2021 05:49 PM (IST)
सर्दी से ठिठुर रहे बेजुबान, नहीं है पर्याप्त इंतजाम
सर्दी से ठिठुर रहे बेजुबान, नहीं है पर्याप्त इंतजाम

जागरण टीम फतेहपुर : बेसहारा गोवंश को आश्रय मिले इसके लिए जिले में 28 सरकारी गोशालाएं संचालित हैं। सभी गोशालाओं में करीब 7900 गोवंश को टैगिग करके रखा भी गया है। बावजूद इसके गोशालाओं के अंदर की व्यवस्थाएं आधी-अधूरी है। हाल यह है कि सर्दी से बेजुबान ठिठुर रहे हैं और यहां पर्याप्त इंतजाम तक नहीं है। हकीकत यह है कि सरकार के आदेश के बाद भी गोवंश को जूट के कोट, अलाव और टिनशेड तक नसीब नहीं हुआ है। जागरण टीम ने सलेमाबाद, देवलान, रोशनपुर टिकारी व शिवराजपुर गोशाला की पड़ताल की तो हाल कुछ यूं मिला..।

धूप ही सहारा, मैदान में मरे पड़े हैं पशु - सलेमाबाद

भिटौरा के तेलियानी ब्लाक की सलेमाबाद गोशाला कागज में तो बेहतर रूप से संचालित है। रविवार को यहां देखा गया कि पशुओं को सर्दी से बचाव के लिए एक भी कोट नहीं बनाया गया, अलाव जलाने के लिए लकड़ी का भी कोई इंतजाम नहीं है। मैदान में कई पशु मरे पड़े थे तो कई बीमारी से तड़प रहे थे। यह बताने के लिए पर्याप्त है कि यहां नियमित रूप से पशु डॉक्टर नहीं आते है। भूसाघर में सूखा भूसा मौजूद था। 500 पशुओं में 130 की टैगिग ही नहीं है।

भूसा और दाना ताले में बंद, सूखा पुआल खा रहे पशु - देवलान

गाजीपुर की देवलान गोशाला में इस समय 700 गोवंश है, लेकिन टैगिग मात्र 260 की है। यहां हर दिन एक से दो पशु मर रहे हैं। अधिकांश पशु कमजोर हैं। यहां भूसा गोदाम में तालाबंद है और पशुओं को सूखा पुआल डाला जाता है। पुआल डालने पर पशु लड़कर चुटहिल हो जाते हैं। जब अफसरों का दौरा होता है तो भूसा गोदाम खोला जाता है।यहां सर्दी से बचाव के लिए कोट नहीं बनाए गए, एक तिरपाल छाया गया है जिसमें पशुओं के बजाय पुआल रखा गया है। पशु सर्दी में खुले आसमान में ही रात काटते हैं। बोरे आए, लेकिन कोट ही नहीं बनवाए गए- रोशनपुर टिकारी

खागा के ऐरायां ब्लाक की रोशनपुर टेकारी गोशाला में 67 पशु हैं। इन्हें सर्दी से बचाव के लिए कोटेदारों से सौ बोरे लिए गए हैं। लेकिन यह बोरे ऐसे ही रखे हैं। अब तक इनके कोट नहीं बनवाए गए। पशुओं के लिए भूसा और पुआल रखा है लेकिन बीमार पशुओं के लिए अलग से शेड नहीं बनाया गया। यहां प्रतिदिन चिकित्सक नहीं पहुंचते हैं, जिससे आपस में लड़ने पर चोटिल होने वालों पशुओं को उपचार नहीं मिल पाता है। 60 पशुओं की टैगिग की गयी है, सात बिना टैगिग के हैं। सर्द मौसम में रात पर कीचड़ में रहते मवेशी - शिवराजपुर

औंग में गंगा कटरी क्षेत्र के पशुओं के लिए शिवरापुर में बनी नंदी गोशाला में इस समय 500 पशु हैं। इनमें 120 बिना टैगिग वाले हैं। जब रात में न्यूनतम पारा चार डिग्री तक पहुंच रहा है, तो यहां के पशु कीचड़ में रात गुजारते हैं। दरअसल यहां बने तीन टीन शेडों में कीचड़ व दलदल हो गया है। इसे सुधारने का कोई प्रयत्न नहीं हुआ। अंधेर यह है कि इसी कीचड़ युक्त टीनशेड में पशुओं को बंदकर दिया जाता है। अलाव व जूट के कोट का इंतजाम नहीं है। भूसा कम है इसलिए आधे पेट ही चारा मिलता है। गोशालाओं का समय-समय पर मूल्यांकन और निरीक्षण कराया जाता है। जहां भी कमियां है उन्हें ठीक कराया जाएगा। गोशाला में सुविधा न देने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करेंगे। प्रत्येक गोशाला का पुन: मूल्यांकन कराकर वास्तविक स्थिति देखेंगे।

सत्य प्रकाश, सीडीओ

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