गोशालाएं हैं कम, गांव-गांव घूम रहा बेसहारा गोवंश
जागरण संवाददाता फतेहपुर गोवंश को सरंक्षण मिले यह सरकार और कोर्ट दोनों की मंशा है
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : गोवंश को सरंक्षण मिले यह सरकार और कोर्ट दोनों की मंशा है, लेकिन व्यवस्था के अभाव में गोवंश दर-बदर भटक रहे हैं। कहीं पर खेत तो कहीं पर सड़क ही इनका बसेरा है। पशुधन विभाग गोवंश को भी आश्रय नहीं दे पा रहा है।
जिले में हुई पशुगणना के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 19,721 गोवंश बेसहारा के रूप में चिह्नित हुए थे। इन्हें सरकारी तौर पर आश्रय मिले इसके लिए सरकार के निर्देश पर 38 गोशालाएं खोली गई हैं। इनमें 6,551 गोवंश रखकर उन्हें चारा-दाना दिए जाने का दावा किया जा रहा है। जबकि सहभागिता योजना के जरिए जिले में 829 गायों को किसानों ने आश्रय दिया है और बदले में सरकार इन्हें हर दिन 30 रुपये के हिसाब से खर्च दे रही है। तमाम कोशिश के बाद भी जिले में बेसहारा चिह्नित 12,341 गोवंश को रखने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। आश्रय न मिलने के कारण यह गोवंश कहीं किसानों की फसलों को नष्ट करते हैं, तो कभी सड़क में डेरा जमाकर दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं। गोवंश भगाने के लिए लगती ड्यूटी
बेसहारा गोवंश से फसलों को बचाने के लिए गांव-गांव किसान खेत की रखवाली को ड्यूटी लगाते हैं। यमुना बेल्ट में रामनगर कौहन, ललौली, दसौली, मुत्तौर, गाजीपुर क्षेत्र इसके लिए चर्चा भी बटोर चुके हैं। किसान रामलखन बताते हैं कि अगर एक बार बेसहारा पशुओं का झुंड घुस गया तो फसल पूरी तरह से तहस-नहस हो जाती है। इसी लिए रखवाली के लिए किसान आपस में समन्वय बनाकर अपने व अन्य के खेतों की रखवाली करते हैं। हर न्याय पंचायत पर बननी है एक गोशाला
सरकार के निर्देशों की बात करें तो जिले की 132 न्याय पंचायतों में इतनी ही गोशालाएं बननीं हैं। लेकिन अब तक मात्र 38 गोशालाएं ही बनाई गई हैं और इनका संचालन शुरू किया गया है। दो स्थाई गोशालाएं बन चुकी हैं, जबकि आठ स्वीकृत के बाद निर्माण प्रक्रिया में हैं। इनके निर्माण पूरे होने पर भी जिले में सिर्फ 49 गोशालाएं ही हो पाएंगी। इसके बाद भी जिले में 83 गोशालाओं की कमी बनीं हुई है। एक नजर में गोवंश और गोशालाएं
कुल चिह्नित बेसहारा गोवंश- 19721
चिह्नित में से आश्रय पा चुके गोवंश-7380
कुल गोशालाओं की जरूरत---132
अब तक संचालित गोशालाएं--38
संचालित स्थाई गोशालाएं----03
निर्माणाधीन गोशालाओं की संख्या- 08
नई गोशालाएं बना रहे हैं और पुरानी की क्षमता बढ़ा रहे हैं। 6,551 पशुओं को आश्रय दिया जा रहा है, जबकि 829 सहभागिता योजना से आच्छादित किए हैं। जल्द ही और गोशालाएं बनाई जाएंगी।
एसके तिवारी, डिप्टी सीवीओ