नॉन कोविड अस्पताल में भर्ती आधे मरीजों में कोरोना के लक्षण

जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना संक्रमण बढ़ने और कोरोना लक्षण से जूझ रहे मरीजों

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:04 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:04 PM (IST)
नॉन कोविड अस्पताल में भर्ती आधे मरीजों में कोरोना के लक्षण
नॉन कोविड अस्पताल में भर्ती आधे मरीजों में कोरोना के लक्षण

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना संक्रमण बढ़ने और कोरोना लक्षण से जूझ रहे मरीजों की मौत का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की अव्यवस्था भी है। कोरोना उपचार के लिए बनाए गए एल-1 और एल-2 हास्पिटल में वहीं मरीज लिए जाते हैं, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है जबकि जिनमें सिर्फ लक्षण है और रिपोर्ट निगेटिव है वह मरीज नॉन कोविड रोगियों के लिए संचालित जिला अस्पताल में भर्ती किए जाते है। बड़ी बात यह है कि जिला अस्पताल में दो से तीन दिन उपचार लेने के बाद इन मरीजों को पता चल पाता है कि वह कोविड पॉजिटिव हैं ऐसे में न सिर्फ उनके कोविड उपचार में देरी होती है बल्कि मौत के आंकड़े भी बढ़ जाते हैं।

यह खुलासा जिला अस्पताल में भर्ती अनेक मरीजों की चेस्ट सीटी स्कैन से हुआ। दरअसल, जिन मरीजों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी उन्हें सांस लेने में दिक्कत, ऑक्सीजन की कमी की समस्या थी। चार मरीजों की हालत देखते हुए चिकित्सक ने जिला अस्पताल में ही इनकी सीटी स्कैन जांच कराई तो पता चला कि 65 फीसद फेफड़े काम ही नहीं कर रहे हैं। आनन-फानन में इन्हें उपचार के लिए एल-2 हास्पिटल भेजा गया। ऐसे मरीजों की संख्या जिला अस्पताल में एक दो नहीं बल्कि भर्ती आधे मरीज कुछ ऐसे ही लक्षण वाले हैं। यहां के एक ड्यूटी डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि दो से तीन दिन यहां भर्ती रहने वाले बाद में कोविड पॉजिटिव आ रहे है। जब तक वह अस्पताल में रहते हैं उनके जरिए अन्य रोगियों व अस्पताल कर्मचारियों में भी संक्रमण फैलने का डर रहता है।

बढ़ रही ऑक्सीजन खपत फिर भी लापरवाही

डॉक्टर यह जानते हैं कि जिन्हें बार-बार ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है उनमें कहीं न कहीं कोरोना का वायरस हो सकता है। लेकिन वह भी इन्हें अलग नहीं करते हैं। अगर ऐसे लोगों को एल-1 और एल-2 अस्पताल में भेजा जाए तो संक्रमण को कम किया जा सकता है।

नहीं सुधर पाए प्राइवेट रूम

जिला अस्पताल में चार प्राइवेट रूम रोगियों के लिए हैं, लेकिन इस समय किसी भी रूम का लाभ रोगियों को नहीं मिल रहा है। दो रूम जहां मरम्मत किए जा रहे हैं, तो वहीं एक रूम टीबी रोगियों के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि एक रूम को शौचालय घर में तब्दील करदिया गया है। क्योंकि वार्ड का शौचालय निर्माणाधीन है। 120 बेड मरीजों से चल रहे फुल

जिला अस्पताल में 120 बेड पिछले एक सप्ताह से फुल चल रहे हैं। दिन भर में अगर 12 से 15 रोगी डिस्चार्ज होते हैं तो इतने ही रोगी नये आ जाते हैं। यह हाल तब है जब दुर्घटना वाले मरीजों को तुरंत कानपुर के लिए रेफर किया जाता है। वर्तमान में सर्दी, जुकाम व बुखार के रोगी सर्वाधिक है। मरीज कैसा भी है उसे जिला अस्पताल में जगह दी जाती है। कोरोना के लक्षणों के चलते जब उसका सीटी स्कैन कराया जाता है तो कोरोना की पुष्टि होती है। ऐसे मरीजों को तुरंत एल-1 और एल-2 अस्पताल भेजा जाता है।

डॉ प्रभाकर सीएमएस जिला अस्पताल

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