खेत में खिलखिला रहे सुमन, मुरझा गए किसान

संवाद सूत्र औंग (फतेहपुर) लॉकडाउन के चलते जनपद में फूलों की खेती का व्यवसाय व बिक्री कर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:15 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:15 PM (IST)
खेत में खिलखिला रहे सुमन, मुरझा गए किसान
खेत में खिलखिला रहे सुमन, मुरझा गए किसान

संवाद सूत्र, औंग (फतेहपुर) : लॉकडाउन के चलते जनपद में फूलों की खेती का व्यवसाय व बिक्री करने वालों पर खासा असर पड़ा है। मंदिर, मस्जिद के साथ शादी हो या धार्मिक कार्यक्रम सभी बंद होने के कारण फूलों की खेती करने वाले किसानों और दुकानदारों की तो कमर ही टूट गई है। किसानों को इस बार खेती की लागत तो दूर मेहनत का भी फायदा नहीं मिलता नजर आ रहा है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को परिवार के भरण पोषण की चिता तो सता ही रही है, वहीं नुकसान की आशंका से भी परेशान है।

मंदिरों में पूजा पाठ और शादी-ब्याह में सजावट व धार्मिक सामाजिक कार्यों में फूलों की जरूरतों को देखते हुए इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण खासा असर पड़ रहा है। लॉकडाउन के कारण फूलों की बिक्री न होने से फूलों की पैदावार करने वाले किसान भी खासे चितित है। फूल बेचने वाले मालियों का कहना है कि लॉकडाउन में मंदिर मस्जिद समेत सभी धार्मिक कार्य बंद हो जाने से फूलों की बिक्री पूरी तरह बंद हो गई है। वह अप्रैल, मई व जून माह में हर साल अच्छा खासा व्यवसाय कर लेते थे। इस व्यवसाय से ही परिवार का भरण पोषण होता था। इस बार लॉकडाउन के चलते न तो फूल माला बिक रही है और न ही शादी में सजावट का काम हो रहा है। जबकि इन महीनों में सहालगों से अच्छा पैसा कमा लेते थे।

फूलों की खेती करने वाले गांव

थानपुर, मदारपुर, बड़ा खेड़ा, नया खेड़ा, दरियापुर, कटरी, मल्लूखेड़ा, बिदकी फार्म, औसेरीखेड़ा, जाड़े का पुरवा, कौड़िया, गलाथा व मानिकपुर। किन-किन फूलों की होती खेती

जाफरी, गेंदा, गुलाब, गुलदावरी, नवरंग, बिजली, गुलमुंडी आदि। कितनी होती थी आमदनी

किसानों के मुताबिक फूलों की खेती में प्रति बीघे 70 हजार से एक लाख रुपये प्रति बीघे का मुनाफा होता है। सहालग में थोक में चालीस से सत्तर रुपये प्रति किलों की दर बिकने वाले फूल को अब पांच रुपये किलो की दर से भी कोई नहीं पूंछ रहा है। कटरी क्षेत्र में करीब एक हजार बीघे क्षेत्रफल में फूलों की खेती होती है, जिसमें एक किसान एक बीघे से लेकर पांच बीघे में यह खेती कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते इस बार फूलों की बिक्री नहीं हो रही है। इससे बाजार में फूलों की मांग नहीं है। इस बार लागत तो दूर मेहनत भी निकलती नजर नहीं आ रही है।

अजयपाल, थानपुर

अप्रैल, मई, जून माह में ढाई सौ रुपये किलो बिकने वाला गुलाब 30 से 35 रुपये किलो बिक रहा है। 50 रुपये किलो वाला गेंदा बीस रुपये में बिक रहा है। बड़ी बात यह है कि लोग किसी भी दाम में खरीदने को तैयार नहीं हैं।

राममिलन, थानपुर

एक बीघा खेत में बीस से 25 क्विंटल तक फूलों की पैदावार हो जाती है। सहालग में बढ़े दामों में बिक्री होती थी, इस बार कोई औने-पौने दामों में भी नहीं खरीद रहा है। लागत की बात क्या करें, मेहनत भी नहीं निकल पा रही है।

पप्पू, मदारपुर लॉकडाउन में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गेंदे का फूल खेत से ही व्यापारी तुड़वाकर ले जाते थे, जो अब नहीं आ रहे हैं। अब तो लागत भी निकलना मुश्किल है। परिवार का भरण-पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

भानुप्रताप, मदारपुर

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