60 गांव के युवा नाप रहे परदेश का रास्ता

जागरण टीम, फतेहपुर : यमुना के जिस लाल सोने के राजस्व से सरकारी खजाना भर रहा है और क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 05:24 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 05:24 PM (IST)
60 गांव के युवा नाप रहे परदेश का रास्ता
60 गांव के युवा नाप रहे परदेश का रास्ता

जागरण टीम, फतेहपुर : यमुना के जिस लाल सोने के राजस्व से सरकारी खजाना भर रहा है और कमाई से मौरंग कारोबारी मालामाल हो रहे हैं, वहां के आर्थिक तंगी के चलते युवा पलायन को मजबूर हैं। मुख्य रूप से खेती पर आश्रित इलाके के लोग मौरंग व्यवसाय के चलते खेती-किसानी नहीं कर पा रहे, पेट की आग बुझाने को यहां के 60 गांवों के युवा परदेश का रास्ता नाप रहे हैं। आलम यह है कि यह क्षेत्र हर दिन बदहाल होकर विकास की मुख्य धारा से कटता जा रहा है।

बहुआ, असोथर, विजयीपुर, धाता व अमौली ब्लाक के करीब 60 गांव ऐसे हैं जो यमुना के किनारे बसते हैं। इस क्षेत्र में फैक्ट्री या व्यापार न होने से यहां के लोगों के लिए यमुना के मौरंग खंड ही रोजगार की मुख्य जगह है। यमुना खंड में वर्तमान में 49 खंड है, उम्मीद थी कि इनके चलने पर स्थानीय लोगों को यहां रोजगार मिलेगा, लेकिन अब तक प्रारंभ हुए पांच खंडों में स्थानीय लोगों को तवज्जो नहीं मिली, मौरंग भराई से लेकर खोदाई तक का काम मशीनों के जरिए होता है और उसमें भी स्थानीय लोगों की जगह व्यवसाई गैर जिलों व प्रांतों से बुलाई गए लेबर को तरजीह दी जाती है। ऐसे में ग्रामीण ने यहां रोजगार पाने की उम्मीद छोड़कर परदेश का रास्ता नापना शुरू कर दिया है। यमुना कटरी के परि²श्य पर एक नजर

कटरी से लगे कुल गांव- 60 (मजरों सहित 281)

कटरी क्षेत्र की कुल आबादी- पांच लाख

मुख्य उद्यम व आय के साधन- खेती

मजदूरी के लिए मुख्य जगहें - ईट भट्ठे व मौरंग खंड

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हमारे क्षेत्र में जब मौरंग निकलती है तो खेतों की हालत खराब हो जाती है, ऐसे में खेती पर आश्रित रहने में परिवार चलाना मुश्किल है इस लिए अपने बच्चों को परदेश भेजते हैं जहां मेहनत मजदूरी करके वह कमाकर लाते है। - सुशील ¨सह ओती कटरी की बदहाली को रोकने के लिए यहां से होने वाली राजस्व आय को यहां के विकास के साथ ही यहां पर उद्यम स्थापित करने के लिए खर्च किया जाए। ताकि यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर अपने क्षेत्र में ही मिले। - महेंद्र प्रताप दतौली यमुना किनारे के मौरंग खंडों में मशीनों का प्रयोग कम करके मजदूरों को मौका दिया जाए और उसमें स्थानीय लोगों को वरीयता मिले तो निश्चित ही कटरी क्षेत्र की बदहाली दूर होगी और स्थानीय लोगों एक बेहतर ¨जदगी जी सकेंगे। - दिनेश कुमार कोर्रा कनक कटरी क्षेत्र मौरंग माफियाओं के लिए चारागाह से कम नहीं है, बावजूद इसके प्रशासन यहां की स्थिति बदलने के लिए कोई प्रबंध नहीं कर रहा है। हर साल लोग यहां व्यवसाय करके लंबी कमाई कर निकल जाते हैं, और क्षेत्र जस का तस बना हुआ है।- बबलू महना

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