रघुूनाथपुर गांव मशरूम खेती की दिखा रहा राह
जागरण संवाददाता फतेहपुर कम खेती में अधिक आय का नमूना देखना हो तो आप हसवा ब्लाक के छ
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कम खेती में अधिक आय का नमूना देखना हो तो आप हसवा ब्लाक के छोटे से गांव रघुनाथपुर पहुंच जाए। गांव के किसान जयपाल ने दो बीघा खेती में बटन मशरूम के साथ मछली व मुर्गी पालन का जो अभिनव प्रयोग किया है उसे कृषि विज्ञानी भी सराह रहे है। इस गांव का तैयार मशरूम इन दिनों प्रयागराज, बनारस, कानपुर की बाजार में धूम मचाए हुए है।
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तीन माह में तैयार होता मशरूम
- मशरूम की खेती के लिए 17 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। ऐसे में सितंबर माह में इसकी बुआई का उपयुक्त समय होता। किसान जयपाल ने बताया कि एक बीघा खेती में मशरूम उगाने के लिए पुआल के पंद्रह सौ वर्गमीटर के तीन शेड बनाने पड़ते है। सितंबर में बुआई कर दी जाती है जिसमें पंद्रह नवंबर के बाद मशरूम होने लगता है।
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एक बीघा में चार लाख की होती आय
- बटन मशरूम की बाजार में अधिक मांग होती है। एक बीघा क्षेत्रफल में मशरूम की खेती करने में तकरीबन तीन लाख रुपये का खर्च आता है। प्रगतिशील किसान ने बताया कि एक बीघा में हर रोज कम से कम एक क्विंटल मशरूम तैयार हो जाता है। बाजार में इस समय बटन मशरूम 140 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कहा कि मार्च महीने तक मशरूम की पैदावार मिलती है जिसमें तकरीबन साढे सात लाख की बिक्री होती है। खर्च निकालने के बाद एक बीघा में चार लाख का मुनाफा होता है।
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बनेगा मशरूम उत्पादक समूह
- कृषि विज्ञान केंद्र थरियांव के विज्ञानी डॉ. जितेंद्र सिंह किसान के तैयार मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्र के और युवाओं का जोड़कर एक मशरूम उत्पादक समूह तैयार किया जाएगा जिससे किसानों को और लाभ मिल सके। किसान को प्रोत्साहित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि बेहतर मॉडल को देखने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह भी आ सकते है। जिले के और किसानों को इस मॉडल से बड़ी सीख मिलेगी। किसान रामकिशोर ने मशरूम के साथ मछली व मुर्गी पालन का जो मॉडल तैयार किया है उसका लाभ अन्य किसानों को भी मिले इसका प्रयास किया जा रहा है।