अब गोशाला में भूसा व कर्मचारियों का खर्च उठाएंगी पंचायतें

जागरण संवाददाता फतेहपुर गोशालाओं में समृद्ध बनाने के लिए सरकार नये-नये प्रयोग कर रही ह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 06:52 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 06:52 PM (IST)
अब गोशाला में भूसा व कर्मचारियों का खर्च उठाएंगी  पंचायतें
अब गोशाला में भूसा व कर्मचारियों का खर्च उठाएंगी पंचायतें

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: गोशालाओं में समृद्ध बनाने के लिए सरकार नये-नये प्रयोग कर रही है, अब गोवंश व गोशालाओं की बेहतरी के लिए ग्राम पंचायतों का खजाना खोला गया है। छोटे-छोटे कामों के लिए हमेशा बजट पर आश्रित रहने गोशालाएं अब पंचायत के धन से समृद्धि की राह पकड़ेगी। ग्राम पंचायतें अब गोशालाओं में काम करने वाले श्रमिकों और यहां की चारा व्यवस्था समेत अतरिक्त कार्यों के लिए सीधे राज्य वित्त की धनराशि खर्च कर सकेंगी।

दरअसल अभी तक गोशालाओं का संचालन पशु पालन विभाग दिए जाने वाले बजट से होता था। इस बजट के चारा चूनी-चोकर के अलावा कोई अन्य खर्च नहीं हो पाते थे। बजट की लेट-लतीफी से अनेक कार्य प्रभावित होते थे, अब यह पैटर्न बदल दिया गया है। अब भूसा की व्यवस्था ग्राम पंचायतें इस प्रकार करेंगी जिसमें कम से कम पैसा खर्च होगा। भूसा खरीद भले ही पुराने नियमों से होगी लेकिन किसानों के खेत में हार्वेस्टर मशीन से कटने वाली फसल के अवशेष के रूप में बचने वाले डंठलों से भूसा बनाने का काम ग्राम पंचायतें करेंगी। इसके लिए वह किसान से सहमति लेगें। भूसा बनाने, ढुलाई व भंडारण कक्ष बनाने के कार्य में पंचायतें राज्य वित्त से कर सकेंगी। व्यवस्था लागू: सीडीओ

सीडीओ सत्य प्रकाश ने बताया कि प्रमुख सचिव पंचायती राज मनोज कुमार खरे द्वारा शासनादेश जारी किया गया है। ग्राम पंचायतों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। अब पंचायतें श्रमिकों का भुगतान व अनेक तरह के खर्च राज्य वित्त से कर सकेंगी।

इन मदों में सीधे खर्च करेंगी पंचायतें

-गोशाला की मानवशक्ति को भुगतान

-खेत में भूसा तैयार करने पर आने वाला खर्च

-खेत से गोशाला तक भूसा ढोने पर आने वाला खर्च

-भंडारण कक्ष तैयार करना व मजदूरी में लगने वाला खर्च

-कोई भी अतरिक्त कार्य जो अन्य विभाग से नहीं हो रहे हों। 15 गोशालाओं हैं 2500 गोवंश

वर्तमान में जिले में रारा, सलेमाबाद, देवलान, विक्रमपुर, शिवराजपुर, नसेनिया, असवाबक्सपुर, रोशनपुर टेकारी, नहवैया, उकाथू, अंजनाभैरव, कुसारा, भेवली समेत 15 गोशालाएं संचालित है। इनमें करीब ढाई हजार गोवंश है, जिन्हें प्रतिदिन चारा-दाना दिया जा रहा है। इसमें से कई गोशालाए ऐसी है जिन्हें दो हिस्सों में बांटकर गाय व नंदी के लिए अलग-अलग भी किया गया है।

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