कान्हा गोशाला के संचालन के बाद भी राहत नहीं
जागरण संवाददाता फतेहपुर शहर में गोशाला संचालन के बाद सड़कों पर बेसहारा मवेशियों क
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : शहर में गोशाला संचालन के बाद सड़कों पर बेसहारा मवेशियों की चहलकदमी से निजात नहीं मिल पा रही है। गोशाला संचालन के बाद सड़कों पर घूमने वाले गोवंश से निजात न मिलने से यातायात में दिक्कत हो रही हैं। बेसहारा गोवंश को आश्रय न दिए जाने से लोगों में गुस्सा भरा हुआ है।
एक वक्त था जब शहर में गोशाला नहीं थी, सड़कों पर बेसहारा घूमने पर तर्क दिया जाता था कि धरपकड़ के बाद इन मवेशियों को कहां ले जाएं। तीन माह पहले से शहर से सटे मलाका गांव के पास कान्हा गोशाला का संचालन हो रहा है। दो करोड़ लागत से बनी कान्हा गोशाला का का संचालन अलीगढ़ की एक संस्था द्वारा टेंडर के माध्यम से किया जा रहा है। इसमें 38 गोवंश ही बंद हैं। इससे गोशाला का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। शहर के आइटआइ रोड, कचहरी, रेलवे स्टेशन, पटेलनगर, शादीपुर, रेल बाजार, देवीगंज, जयरामनगर, अशोक नगर आदि मुहल्लों में बेसहारा गोवंश स्वच्छंद विचरण करते हुए कभी भी देखे जा सकते हैं। इन गोवंश के कान में टैग भी लगा होता है। जिससे पता चलता है कि यह गोवंश किसी ग्रामीण गोशाला से छूटकर बाहर आए हैं। अधिशासी अधिकारी मीरा सिंह ने बताया कि गोशाला का संचालन टेंडर के माध्यम से संस्था को दिया गया है। डीएम की तरफ से बीमार पशुओं के इलाज की व्यवस्था पशुपालन विभाग को दी गई है। संचालन में खामी न आ सके इसके लिए समय समय पर निरीक्षण किया जाताहै। पंचायत चुनाव के बाद कैटिल कैचर दस्ते के तहत अभियान चलाकर गोवंश की धरपकड़ की जाएगी।
घटिया संचालन की उठ चुकी आवाज
मलाका गांव में संचालित कान्हा गोशाला को लेकर आवाज उठ चुकी है। सोशल मीडिया में संचालन को लेकर बरती जा रह लापरवाही और जिम्मेदार का गैर जिम्मेदाराना बयान चर्चा का विषय बना था। एक पखवारे पूर्व मची हलचल की तहकीकात अधिशासी अधिकारी नगर पालिका द्वारा की गई थी। भूखे बेजुबानों का पेट भरने के लिए भूसा आदि की व्यवस्था कराई गई थी। कैटिल कैचर वाहन बना शोपीस
नगर पालिका के पास बेसहारा और सड़कों पर घूमने वाले गोवंश की धरपकड़ के लिए कैटिल कैचर वाहन है। गोवंश की धरपकड़ करके गोवंश को गोशाला तक सुरक्षित पहुंचाए जाने की व्यवस्था है। इसके बावजूद यह वाहन महीनों से पालिका कैंपस से निकल नहीं पाया है। जिससे सड़कों पर बेसहारा मवेशियों की संख्या में कमी नहीं आ रह है। 30 रुपये प्रति मवेशी मिलता,जुर्माने में लगते डेढ़ हजार
शासन के नियमों के तहत करार करके संस्था ने कान्हा गोशाला का संचालन अपने हाथ लिया है। नियमों के मुताबिक प्रति मवेशी 30 रुपये संस्था को दिए जाने का प्राविधान है। वहीं धरपकड़ के तहत जब पालतू मवेशी आता है और पालक उसे छुड़ाने पहुंचता है तो 1500 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है। यह धनराशि पालिका के खाते में जाता है।