मिल में ताले से रोजगार के लाले

अंशू बाजपेयी मलवां (फतेहपुर ) मलवां औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2006-07 से शुरू हुई श्रीलक्ष्मी

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Aug 2021 07:13 PM (IST) Updated:Mon, 09 Aug 2021 07:13 PM (IST)
मिल में ताले से रोजगार के लाले
मिल में ताले से रोजगार के लाले

अंशू बाजपेयी, मलवां (फतेहपुर ) : मलवां औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2006-07 से शुरू हुई श्रीलक्ष्मी काटसिन मिल ने रोजगार का द्वार खोल दिए थे। काम की तलाश में महानगरों को पलायन करने वाले युवाओं को एक सौगात मिली। फैक्ट्री में चार हजार से अधिक श्रमिक कर्मचारी कार्यरत थे। कंपनी जिस तरह से एक-एक करके जिले में पांच इकाइयां स्थापित किया उससे रोजगार के क्षेत्र में नई क्रांति आ गई। बेडशीट और तौलिया निर्माण में अग्रणी प्लांट का उत्पाद विदेश भी जा रहा था। अरबों की पूंजी इकाई के बंद होने के बाद भी श्रमिक फिर से चालू होने की उम्मीद संजोए हुए हैं।

वर्ष 2010- 11 में फैक्ट्री वित्तीय स्थिति से कमजोर हुई तो कर्मचारियों की छंटनी होनी लगी, लेकिन ग्रुप ने रेवाडी व अभयपुर प्लांट में समायोजित कर लोगों के भरोसे को टूटने नहीं दिया। चार-पांच साल बाद हालात इतने बदतर हो गए कि वर्ष 2016-17 में एक-एक करके ग्रुप के सभी प्लांटों में ताला लगता गया। प्रबंधतत्र इसके बाद भी कुछ श्रमिक व कर्मचारियों को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया बल्कि फैक्ट्री के चालू होने का भरोसा देते रहे। कर्मचारियों की कई करोड़ की देनदारी पड़ी हुई है। क्षेत्र की जनता को यह उम्मीद है कि नीलामी के बाद जो उद्यमी लेगा वह फैक्ट्री तो संचालित ही करेगा। सीबीआइ जांच के बाद लोगों को कंपनी के बड़े खेल को लेकर झटका लगा है। क्षेत्र कब होगा गुलजार

चार वर्ष से औद्योगिक क्षेत्र का सन्नाटा नहीं टूट रहा है। हजारों श्रमिक व कर्मचारियों से गुलजार रहने वाले इलाके के 10 से 15 गांवों अप्रत्यक्ष रोजगार हजारों परिवारों को रोजी-रोटी दे रहा था। क्षेत्र के लोग कहते है कि कमरा के किराए से लेकर, राशन-सामग्री, दूध, वाहन आदि क्षेत्र का रोजगार खत्म हो गया। सीबीआइ जांच से यह लग रहा है कि नीलामी के प्रक्रिया में देरी होगी। क्या कहते बेरोजगार

कंपनी बंद होने से रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हुआ है, नौकरी छूटने के बाद खेती करा रहे है, उम्मीद है कि सरकार फैक्ट्री चालू होगी।

विमल कुमार कंपनी में सात साल काम किया, बंदी के बाद कानपुर में मजदूरी कर घर चला रहे है। यह था कि नीलामी के बाद कंपनी फिर चलेगी।

अनूप कुमार कंपनी बंद होने के बाद गुजरात काम के लिए चले गए, कोरोना के कारण एक साल घर में ही बैठे है, कंपनी चल जाए तो रोजगार मिल जाएगा।

वेद प्रकाश छंटनी में कंपनी ने वर्ष 2011 में हटा दिया था। तबसे कोई रोजगार खोजे नहीं मिल रहा। सरकार को चाहिए कि रोजगार दिलाए।

प्रमोद बाजपेई

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