जल प्रबंधन अपना कर मिट्टी की सेहत सुधारें

जागरण संवाददाता फतेहपुर खेती किसानी में जल संरक्षण व प्रबंधन की तकनीकी किसानों को आत्म

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:19 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:19 PM (IST)
जल प्रबंधन अपना कर मिट्टी की सेहत सुधारें
जल प्रबंधन अपना कर मिट्टी की सेहत सुधारें

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : खेती किसानी में जल संरक्षण व प्रबंधन की तकनीकी किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी। खेत का पानी खेत में का बुजुर्गी फार्मूला मिट्टी के सेहत को बनाने के साथ फसल की लागत को कम करेगा। किसानों को चाहिए कि जून से सितंबर माह तक जल प्रबंधन को अपनाकर आत्मनिर्भर खेती की दिशा में कदम बढ़ाएं। जलप्रबंधन की तकनीकी सलाह देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र थरियांव के कृषि विज्ञानी डा. जितेंद्र सिंह ने कहा बारिश का मौसम खेती किसानी के लिए सबसे बेहतर होता है। इस दौरान यदि किसान सजग होकर खेत का पानी खेत में रोक ले तो रबी, खरीफ व जायद की फसलों को लाभ मिलेगा। आइए जानते हैं कि इस समय किसान क्या करें।

पहली बरसात के दिन ही खेत की कटी मेड़ को फावड़ा से बांध दें। कटान के साथ बारिश का पानी बह न जाए इसके लिए मेड़ को मोटी बनाई जाए। - बारिश के पानी का खेत में संचयन हो इसके लिए खेत की गहरी जोताई कई बार करें। जैसे ही मिट्टी नम हो जोताई करवा दें उससे नमी का दायरा बढ़ेगा। - खेत में पानी अधिक हो जाए तो पानी की निकासी की व्यवस्था ऐसी करनी चाहिए कि खेत से अतिरिक्त पानी धीमी गति से निकले। अधिक पानी तालाबों में पहुंचाने का प्रबंधन किया जाए।

- धान की रोपाई पानी का उचित प्रबंध करके करें, नर्सरी अधिक बढ़ जाने पर ऊपर से पांच सेमी काटकर रोपाई करें। - धान के चारो ओर ढेचा बोकर बीज तैयार करें जिससे अगले साल पूरे खेत में हरी खाद ले सकें। इससे खेत में पानी सोखने व रोकने की क्षमता बढ़ेगी।

- धान के क्षेत्र में मेड़ में अरहर की बोआई करके जरूरतभर की दाल का उत्पादन कर सकते हैं। ज्वार, बाजरा, तिल की बोआई तीस जुलाई तक कर सकते हैं।

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