सांप डसे तो फौरन पहुंचें अस्पताल, बच जाएगी जान
जागरण संवाददाता फतेहपुर जुलाई से अक्टूबर का समय ऐसा होता है जब सांप सबसे ज्यादा बिल के
जागरण संवाददाता फतेहपुर : जुलाई से अक्टूबर का समय ऐसा होता है, जब सांप सबसे ज्यादा बिल के बाहर निकलते हैं। ऐसे में कई बार सांप आबादी में भी पहुंच जाते हैं और जरा भी खतरा लगने पर दूसरों को डस लेते हैं। सर्पदंश के बाद अगर लोग एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाएं तो उनकी जान बच सकती है, लेकिन कई लोग झाड़फूंक के चक्कर में फंस जाते हैं और जान गवां बैठते हैं। वर्तमान में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और जिला अस्पताल में एंटी वेनम स्नेक इंजेक्शन मौजूद है। जुलाई में सीएमओ के सीएमएसडी स्टोर ने 600 इंजेक्शन की खरीद की थी। इसमें से 54 सीएचसी-पीएचसी में दस-दस इंजेक्शन दिए हैं। अक्टूबर माह में हर पीएचसी में छह से आठ इंजेक्शनों की उपलब्धता बची है। ज्यादा इंजेक्शन खर्च नहीं हुए हैं क्योंकि यहां सर्पदंश का पीड़ित पहुंचने में देर होती है।
मरीज को दो से तीन इंजेक्शन लगते हैं
सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी डा. इस्तियाक अहमद बताते हैं कि हर सीएचसी-पीएचसी में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता है। यूं तो एंटीडोज के लिए एक इंजेक्शन पर्याप्त है, लेकिन अगर सर्प ज्यादा जहरीला है तो पीड़ित को दो से तीन इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं। हमारे पास जब भी डिमांड आती है तो इसे तुरंत सीएचसी-पीएचसी को दिया जाता है। 60 इंजेक्शन अब भी स्टोर में हैं।
एक घंटे के अंदर डोज दी तो खतरे से बाहर
डा. अनुपम सिंह का कहना है कि सर्पदंश के तुंरत बाद पीड़ित को अस्पताल लाया जाए तो उसकी जान बच जाती है। एक घंटे के अंदर एंटीडोज लगाने से मरीज की जान का खतरा बच जाता है और 72 घंटे में मरीज ठीक भी हो जाता है। जहर यदि सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर देता है तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है।
सर्पदंश पर ये करें
- जिस स्थान पर सर्पदंश का निशान है उसके ऊपर कसकर बांध दें।
- नए ब्लेड से सर्पदंश वाले स्थान पर चीरा लगा दें, खून बहनें दें।
- झाड़फूंक के चक्कर में न पड़कर अस्पताल पहुंचे।
- डाक्टर की देखरेख में पीड़ित को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगवाएं।
- पीड़ित को सोने न दें, उससे बात करके जागृत अवस्था में रखें।
सर्पदंश से मृत्यु पर चार लाख मुआवजा
सरकार सर्पदंश से मृत्यु पर चार लाख का अहेतुक सहायता देती है। इसके लिए अनिवार्य है कि मृतक व्यक्ति का पोस्टमार्टम कराया गया हो। यह राशि आपदा राहत कोष से निर्धारित प्रपत्र पर तहसील की रिपोर्ट पर डीएम द्वारा मृतक के स्वजन को प्रदान किया जाता है। इस वर्ष अब तक 11 लोगों को मुआवजा की राशि दी गई है।