ओपीडी तक सीमित अस्पताल, रात में नहीं होता उपचार
संवाद सूत्र असोथर यमुना कटरी के 800 गांवों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से जोड़ने के लिए सरांय
संवाद सूत्र, असोथर : यमुना कटरी के 800 गांवों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से जोड़ने के लिए सरांय खालिस में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दो साल पहले से संचालित हुआ है। लेकिन यह अस्पताल इलाके के मरीजों को उपचार सुविधा नहीं दे पा रहा है। यहां कहने को तो 30 बेड का अस्पताल संचालित है, लेकिन इन बेडों में मरीज भर्ती नहीं होते, अस्पताल में सिर्फ ओपीडी का कार्य दिन में होता है अगर रात में मरीज पहुंचे तो उसे वापस लौटा दिया जाता है। क्योंकि, रात में कोई डॉक्टर ही यहां नहीं रुकता है।
असोथर विकास खंड में 45 ग्राम पंचायतें और 755 मजरे हैं। इन सभी गांवों का भार सरांय खालिस में खुली सीएचसी पर है। प्रबंधन इतना खराब है कि आज तक यहां कोई भी विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात नहीं हुआ। इसके कारण यहां हड्डी रोग, आपरेशन, बाल रोग, महिला रोगों का विशेष उपचार नहीं है। यहां मात्र दो डॉक्टर किसी तरह से ओपीडी चलाकर अस्पताल खुलने की औपचारिकता को पूरी करते हैं। अस्पताल खुलने के बाद एक बात की सुविधा जरूर हुई कि प्रसव कराने वाली महिलाओं को यहां भर्ती कर स्टाफ नर्से प्रसव करा देती हैं, लेकिन अगर प्रसव में कोई परेशानी हुई तो तुरंत जिला मुख्यालय के लिए रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में अस्पताल के प्रबंधन को लेकर कटरी क्षेत्र के लोगों में भारी रोष है। सीएचसी में क्या है स्टाफ की स्थिति
यहां पर दस डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष मात्र दो डाक्टर यहां पर तैनात हैं। बाल रोग, स्त्री रोग, अर्थोपैडिक, सामान्य सर्जन जैसे चिकित्सकों की तैनाती ही नहीं है। फार्मासिस्ट के दो, स्टाफ नर्स का एक, वार्ड ब्वाय के दो पद खाली है। जबकि स्वीपर और चौकीदार के पदों पर कोई तैनाती नहीं है। चार महीने पहले उठ गए यहां के बेड
देश भर में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी हो रही है। लेकिन सीएचसी सरांय खालिस के बेड ही उठकर दूसरे अस्पताल में चले गए हैं। यहां के 24 बेड उठाकर एल-2 अस्पताल भेज दिए गए हैं। जिसके बाद सिर्फ छह बेड यहां पर बचे हैं। जिससे सिर्फ प्रसव वाली महिलाओं को भर्ती किया जाता है। शेष मरीज सिर्फ दवा गोली के आधार पर देखे जाते हैं। आवास यहां बने हैं, रुकता कोई नहीं
सीएचसी परिसर में डाक्टर व कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास बनें हैं लेकिन यहां पर कोई रहता ही नहीं है, नतीजा यह है कि इन आवासों में ताला लटकते हैं। कई भवनों में तो बारिश का पानी भी भर जाता है। देखरेख के अभाव में यह आवास अब दो साल में ही जर्जर होने की कगार पर पहुंच गए हैं। अस्पताल की कहानी, ग्रामीणों की जुबानी
अस्पताल बना था तो उम्मीद जगी थी कि यहां उपचार सुविधा मिलेगी। लेकिन यहां तो न डाक्टर हैं और न ही मरीज भर्ती किए जाते हैं। सुधार कराया जाए।
केशव सक्सेना यमुना कटरी क्षेत्र के गांवों में हर साल संक्रामक बीमारियां फैलती है, कई लोगों की जांच भी उपचार के अभाव में चली जाती है। अस्पताल से उम्मीदें थी वह भी पूरी नहीं हो रहीं हैं।
ललित सैनी अस्पताल में मनमानी संचालन बंद करके नियम और कानून पर संचालन किया जाए तो यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। जब तक कार्रवाई नहीं होगी सुधार संभव नहीं है।
रीतेश सविता डाक्टर सिर्फ दवा गोली देते हैं, अगर भर्ती करने की बात कहो तो जिला अस्पताल की सलाह देते हैं। ऐसे में सीएचसी का क्या मतलब यहां सभी सुविधाएं चालू की जानी चाहिए।
शनि सिंह सीएचसी सरांय खालिस जल्द ही शुरू हुई है, इसके शुरू होने के कुछ दिन बाद से ही कोरोना प्रभावी है। ऐसे में यहां की सुविधाओं और सेवाओं को बेहतर नहीं किया गया है। जल्द ही यहां जांच होगी और कमियों को दूर किया जाएगा।
डा. गोपाल माहेश्वरी सीएमओ