परीक्षा की शुचिता पर भारी नकल माफिया

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बोर्ड परीक्षा के शुचिता के दावों के बीच जिस तरह से श्रीपाल साह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 11:27 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 11:27 PM (IST)
परीक्षा की शुचिता पर भारी नकल माफिया
परीक्षा की शुचिता पर भारी नकल माफिया

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बोर्ड परीक्षा के शुचिता के दावों के बीच जिस तरह से श्रीपाल साहू इंटर कॉलेज के परीक्षा केंद्र में मुन्ना भाई परीक्षा देते हुए सचल दल ने पकड़ा था। उससे दावों की पोल खुलकर सामने आ गई है। जीआइसी के तेज तर्रार प्रधानाचार्य ने इस मामले को पकड़ा और स्टेटिक मजिस्ट्रेट, केंद्र व्यवस्थापक व अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक, आंतरिक सचल दल की निगाहें नहीं टिक पाई। चंद मिनटों के लिए गए सचल दल ने मुन्नाभाई को पकड़ा वहीं तीन घंटे तक शुचिता की जिम्मेदारी ओढ़े जिम्मेदार बैठे रहे। जिला प्रशासन ने मुन्नाभाई पर तो मुकदमा लिखवा दिया लेकिन अभी तक इन जिम्मेदारों पर कार्यवाही न करना संदेह पैदा कर रहा है। नियम के अनुसार दावों के तहत केंद्र व्यवस्थापक के खिलाफ के कार्रवाई होनी चाहिए।

जिले के नकल माफिया शांत बैठेंगे इस पर लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। बीते सालों में नकल विहीन परीक्षा की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। बदले परिवेश में केवल वायस रिकॉर्डर ही लगा है। ऐसे में नकल माफिया शांत बैठे रहेंगे यह संभव नहीं है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के जिला मुखिया खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनके पास उत्तर पुस्तिकाएं केंद्र से बाहर लिखे जाने की सूचनाएं आ रही हैं लेकिन पड़ताल में यह मामला पकड़ में नहीं आ रहा है। वहीं आरोप यह भी है कि केंद्रों में रुपयों की वसूली भी हुई है। सवाल उठता है कि जब रुपयों की वसूली हुई तो फिर नकल क्यों नहीं मिलेगी। नकल किस तरह से पहुंचाई जा रही है यह बात जिम्मेदार पकड़ नहीं पा रहे हैं। जानकारों की मानें तो चंद प्रश्नों के उत्तर में कोड अंक का इस्तेमाल भी हो रहा है। एक बार में सही उत्तरों को क्रमवार रखकर एक साथ बोल दिया जाता है। जिसे परीक्षार्थी पेंसिल से नोट कर लेता है और उत्तर उसी के अनुसार लिख देता है। नकल रोकने के लिए सभी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। कई जगहों से उत्तर पुस्तिकाएं बाहर से लिखाए जाने का मामला संज्ञान में आया। केंद्रों में भेजी गई उत्तर पुस्तिकाओं की खेप की जांच कराई गई लेकिन पकड़ में कुछ नहीं आया है।

महेंद्र प्रताप ¨सह, डीआइओएस

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