मिलर्स को एजेंसी माने सरकार, खरीद के मिले अधिकार
संवाद सहयोगी बिदकी द यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार से मिलर्स को एजेंसी मानकर खरीद
संवाद सहयोगी, बिदकी : द यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार से मिलर्स को एजेंसी मानकर खरीद योजना में शामिल करने की मांग रखी है। इसके अलावा मिलर्स को सरकार की ओर से धान की कुटाई पर दिए जाने वाले वाले शुल्क को बढ़ाने सहित कई अहम प्रस्ताव भी पास हुए।
नगर के एक पैलेस में प्रदेश भर से जुटे राइस मिलर्स ने सरकार की खरीफ नीति पर चर्चा की। धान की खरीद मिलर्स को एजेंसी मानकर उसी के माध्यम से कराने की मांग रखी। एसोसिएशन के महामंत्री विनय शुक्ला ने कहा कि सरकार मिलर्स को एजेंसी मानकर काम कराए। सरकार जो भुगतान एजेंसी को देती है वह सभी भुगतान मिलर्स को दे। कहा कि हालिग काम के लिए सरकार मिलर्स को दस रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करती है, जबकि एक क्विंटल धान की हालिग करने में दो सौ रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आता है। एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष गोविद बाबू टाटा ने कहा कि हालिग सूखा, भाड़ा आदि का भुगतान चार वर्ष से शेष है। उसका भुगतान कराया जाए। मिलर्स ने कहाकि सरकार जो धान पैडी मिलर्स को हालिग कार्य के लिए देती है। उसमें चावल 58 से 60 प्रतिशत रिकवरी बैठती है। जबकि सरकार मिलर्स से 67 फीसदी रिकवरी लेती है। बैठक को आंनद गुप्ता, पुरुषोत्तम बाजपेई, बीएल शुक्ला, प्रमोद सिंह पटेल, मनोज गांधी, गोविद त्रिवेदी, निर्मल शंकर, भूपेंद्र उमराव, राम मिलन पटेल व श्रवण गुप्ता आदि ने संबोधित किया। बैठक में इन जिलों से आए मिलर्स
प्रयागराज, बांदा, लखनऊ, बांदा, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, सोनभद्र, प्रतापगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर, बनारस, रायबरेली व कौशांबी से आए मिलर्स ने इस बैठक में हिस्सा लिया। अलग-अलग जिलों में करेंगे बैठकें
द यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम बाजपेई ने पत्रकारों को बताया कि अब प्रदेश भर में राइस मिलर्स की अलग-अलग बैठकें होंगी। समस्याओं को सूचीबद्ध कर प्रदेश सरकार के समक्ष रखा जाएगा। इसकी शुरुआत फतेहपुर बिदकी से की गई है। सरकार राइस मिल उद्योग को बचाना चाहती है तो मिलर्स की समस्याओं पर गौर करना होगा। मिलर्स भी हजारों श्रमिकों को रोजगार देते हैं।