अब मौतों का हिसाब देंगे सरकारी अस्पताल
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सरकारी अस्पताल में उपचार के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सरकारी अस्पताल में उपचार के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाए तो तीमारदारों को मौत होने के कारणों का पता नहीं चल पाता था। लेकिन अब जिला पुरुष व महिला अस्पताल में रोगियों की मौत होने पर उनके उपचार का ब्योरा सुरक्षित किया जाएगा। जिला अस्पताल में जिलाधिकारी के आदेश पर इस फरमान को लागू कर दिया गया है।
सरकारी अस्पतालों में बेहतर और जिम्मेदार उपचार के लिए रोगी कल्याण समिति गठित है, जो रोगियों की बेहतरी के लिए काम करती है। इसके अध्यक्ष डीएम और सचिव सीएमएस होते हैं। डीएम ने समिति के सहमति पर तय किया है कि अब प्रत्येक रोगी का पूरा रिकॉर्ड केवल वीएसटी भर में नहीं रहेगा। अगर रोगी की मौत होती है तो उसका पूरा ब्योरा तैयार किया जाएगा। ब्योरे में यह शामिल होगा कि रोगी अस्पताल में कब भर्ती हुआ, उसे किस तरह की बीमारी है, किस डॉक्टर ने उसे उपचार किया उसकी मौत हुई तो उसके कारण क्या रहे। इसके बाद इन मौतों का आडिट डॉक्टरों के पैनल से कराया जाएगा। जिसमें देखा जाएगा कि रोगी को दिया गया उपचार ठीक था या किसी प्रकार की लापरवाही की गई। उपचार में लापरवाही की निकलती है तो संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। हम ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव के दौरान मौत होने वाली प्रसूताओं की मौत का ऑडिट कराते हैं, लेकिन अब जिलाअधिकारी के निर्देश पर यह व्यवस्था जिला पुरूष व महिला अस्पताल में होने वाली किसी भी मौत पर लागू की गई है। इससे इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी और उपचार में सुधार होगा। मृतकों के प्रकरणों में जिला अस्पताल हर तरह का जवाब देने में सक्षम होगा।
-डॉक्टर उमाकांत पांडेय, सीएमओ