सरकारी संस्थानों में शोपीस बने अग्निशमन यंत्र
संवाद सहयोगी खागा आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सरकारी गैर सरकारी कार्यालयों
संवाद सहयोगी, खागा : आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों तथा निजी प्रतिष्ठानों पर अग्निशमन यंत्र लगाना अनिवार्य किया गया। शासन के निर्देश पर अभियान चलाकर अग्निशमन यंत्रों की स्थापना की गई। सरकारी कार्यालयों में लगे यंत्र, महज कुछ वर्षों बाद ही बेकार हो गए। मुश्किल के समय यह यंत्र कारगर साबित होंगे, सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकारी संस्थानों में लगे अग्निशमन यंत्रों में इक्का-दुक्का ही सही स्थिति में लगे हैं। ऐसे में यदि आग लगने की घटना हुई तो काबू पाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। मुंबई में एक शिक्षण संस्थान व कोलकता के अस्पताल में हुए अग्निकांड को ²ष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार ने सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, मॉल व अन्य दूसरे प्रतिष्ठानों पर अग्निशमन यंत्र लगवाए जाने की प्रक्रिया को अनिवार्य किया। खास बात है कि एसडीएम कार्यालय, सीओ कार्यालय, पशुपालन विभाग कार्यालय, नगर पंचायत कार्यालय, चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय, कृषि रक्षा इकाई आदि जगहों पर अग्निशमन यंत्र नहीं लगे हैं। तहसील मुख्यालय में एसडीएम कार्यालय के बाहर टंगे यंत्र की संयोजन तिथि देखने के बाद इसकी कारगर क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अधिकांश कार्यालयों में तो खोजने से भी यह दिखाई नहीं पड़ते हैं। शुक्रवार को कार्यालयों की पड़ताल में पाया गया कि जहां भी यंत्र लगे हैं, उनमें आइएसआइ स्टैंडर्ड का मार्का तक नहीं है। यह भी देखा गया कि यंत्र के पास बालू भरी बाल्टियां भी नहीं रखी गई हैं, जबकि इसे रखना अनिवार्य है। यंत्र चलाने के बारे में कर्मचारियों को प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। नियमानुसार अग्निशमन यंत्र की जांच करने वाले जिम्मेदार अफसरों को भी देखने का समय नहीं है।
अग्निशमन यंत्रों की जांच व री-फिलिंग को लेकर विभाग सजग है। यंत्र के पास बालू भरी बाल्टी रखवाना अनिवार्य होता है। स्कूल-कॉलेजों, अस्पताल व सरकारी विभागों में यंत्र चलाने की जानकारी दी जाती है।
- उमेश गौतम, सीएफओ